Posts

Showing posts from May, 2024

मंदी की मार

माया जल्दी से मेरा नाश्ता लाओ मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है, बढ़िया इस्त्री की हुई सफेद शर्ट, क्रीच वाली ग्रे पैंट, मैचिंग टाई, पॉलिश किये हुए जूते और हाँथों में चमचमाती घड़ी जो उसके ब्लेजर की आस्तीन से झाँक रही थी, डाईनिंग टेबल पे बैठा वैभव अपनी पत्नी माया को आवाज़ देता है। दो मिनट रुको वैभव बोलते हुए माया तेजी से अपना हाथ चलाती है, नौकरानी को प्लेट और पानी लगाने को बोलती है और झटपट सुबह का नाश्ता वैभव को परोसती है। इधर वैभव लगातार मोबाइल पे अपने ऑफिस के साथियों से बात करता रहा, नाश्ता करते हुए भी उसके मोबाइल की घंटी चुप होने का नाम नहीं ले रही थी। थ्री बी.एच. के आलीशान फ्लैट से निकल, लिफ्ट से तेरहवी मंजिल से नीचे उतर अपनी पार्किंग के पास पहुँचता है जहाँ उसका ड्राइवर रमेश काली रंग की लंबी बी.एम. डब्ल्यू कार को साफ कर रहा होता है। वैभव कार में बैठते ही बोलता है जल्दी चल रमेश आज कंपनी की बोर्ड मीटिंग गई, आज साल के आखरी तिमाही का निर्णय आना है। कांफ्रेंस हॉल में पहले से ही सभी बोर्ड के सदस्य कंपनी के सी. ई.ओ वैभव रंबानी का इंतज़ार कर रहे थे। कंपनी के सी. एफ.ओ ने सबके सामने नतीजे पेश किए, ...

चौथा बच्चा

क्या राहुल दिखाई नहीं देते, कहाँ रहते हो आज कल कविता लिखते-लिखते क्या अब उपन्यास भी लिखने लगे- आनंद ने व्यंगात्मक शैली में राहुल से पूछा राहुल: नहीं यार वो बात ये है कि.... बीच में ही राहुल की बात को काट कर सुमित बोलता है कविता कहानी में क्या रखा है राहुल, यूँही झोला उठा कर चलते रहोगे ज़िन्दगी में दो वक्त की रोटी नसीब हो जाएगी वही बहुत है, किसी और काम के बारे में सोंचो। राहुल: वो मुझे बच्चों को संभालना पड़ता है आजकल भइया का परिवार अलग हो गया है कोई उन्हें देखने वाला नहीं, सुनैना अकेले नहीं कर पाती.... आनंद हँसते हुए बोला- तो किसने बोला था दूसरा बच्चा इतनी जल्दी करने के लिए, थोड़ा सब्र से काम ले लेते अपना नहीं तो कम से कम देश का तो सोचते राहुल दुखी मन से-  दो नहीं भाई तीन बच्चे सुमित: अब ये तीसरा बच्चा कहाँ से आ गया, इतनी जल्दी कोई फैक्ट्री खोल रखी है क्या? पूरी तरह से या तो पागल हो या ठरकी हो गए हो...राहुल: तीसरा बच्चा मेरी बूढ़ी माँ है ।

होली

रंगों से भरा हो आपका घर संसार दिलों में हो सबके प्यार ही प्यार भूला कर भेद भाव द्वेष अहंकार मनाए मिलकर होली का त्योहार