पागलपन की शान book35
हमारे पागलपन की शान देख कर
अब सारा जमाना पागल हो रहा है,
हम तो निकले थे अकेले
अब पागलों का काफिला बढ़ता जा रहा है,
मैं भी पागल, अरे तू भी पागल
पागलों का ठहाका गूँजता जा रहा है।
हमारे पागलपन की शान देख कर
अब सारा जमाना पागल हो रहा है,
आज एक पागल चल बसा है
तो देखो कैसे नाच रहे हैं,
छूटा जमाने से पागल का पीछा
तो मिठाइयां बांट रहे हैं,
हंस रहे हैं हमें देख कर लोग
हम आईना समझ कर हंस रहे है
हमारे पागलपन की शान देख कर
अब सारा जमाना पागल हो रहा है।
हर अख़बार में ख़बर छपी है
पागलों के नाम का वारंट निकल जा रहा है,
मरने लगीं हैं युवतियाँ हर पागल में उनको
उनका आशिक़ नज़र आ रहा है
हमारे पागलपन की शान देख कर
अब सारा जमाना पागल हो रहा है।
नेताजी आ रहे हैं पागलों से मिलने
अब उनको भी हम में
अपना वोट बैंक नज़र आ रहा है,
पागलों का अलग धर्म बना दो,
हर फेंके हुए पत्थर में
उन्हें अपना भगवान नज़र आ रहा है,
हमारे पागलपन की शान देख कर,
अब सारा जमाना पागल हो रहा है।
Comments