फ़ैसले book19

सुना है जो परिंदे पिंजरा तोड़ उड़ जाया करते हैं

उन्हें बाहर बैठे चील कौवे नोंच जाया करते हैं

इस डर से क्या कोई अपने पंखों को ही काट दे

या लड़ने के लिए अपनी चोंच को धार दें,

सोने के पिंजरे का मोह कब तक रख सकेगा

इससे पहले के पंख उड़ना ही भूल जाएं

अपनी सोंच को एक नया आयाम दे,

मजबूरियां इंसान को मिट्टी में मिला देतीं हैं

तो कुछ को महान बना देतीं है,

ये जद्दोजहत सिर्फ इंसान बनने के लिए नहीं है,

आपके फ़ैसले ही मिट्टी को भगवान बना देतीं हैं

Comments

Popular posts from this blog

कच्ची मिट्टी

असभ्यता की लकीरें book26

Main girunga Phir uthunga book27