चौथा बच्चा
क्या राहुल दिखाई नहीं देते, कहाँ रहते हो आज कल कविता लिखते-लिखते क्या अब उपन्यास भी लिखने लगे- आनंद ने व्यंगात्मक शैली में राहुल से पूछा
राहुल: नहीं यार वो बात ये है कि....
बीच में ही राहुल की बात को काट कर सुमित बोलता है
कविता कहानी में क्या रखा है राहुल, यूँही झोला उठा कर चलते रहोगे ज़िन्दगी में दो वक्त की रोटी नसीब हो जाएगी वही बहुत है, किसी और काम के बारे में सोंचो।
राहुल: वो मुझे बच्चों को संभालना पड़ता है आजकल भइया का परिवार अलग हो गया है कोई उन्हें देखने वाला नहीं, सुनैना अकेले नहीं कर पाती....
आनंद हँसते हुए बोला- तो किसने बोला था दूसरा बच्चा इतनी जल्दी करने के लिए, थोड़ा सब्र से काम ले लेते अपना नहीं तो कम से कम देश का तो सोचते
राहुल दुखी मन से- दो नहीं भाई तीन बच्चे
सुमित: अब ये तीसरा बच्चा कहाँ से आ गया, इतनी जल्दी कोई फैक्ट्री खोल रखी है क्या? पूरी तरह से या तो पागल हो या ठरकी हो गए हो...राहुल: तीसरा बच्चा मेरी बूढ़ी माँ है ।
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