lo chala book28
लो चला फिर अपना मन पीछे छोड़ के ,
यादों को समेटे ,
पलकों में अश्क़ छुपाये ,
अपने नगर हर डगर को अलविदा कह के।
रूह की कपकपाहट को कोई महसूस ना कर ले ,
नम्न नेत्र देख कहीं वो रो ना दे ,
रखना पड़ता है चेहरे पे
कहीं अपनों से ये फरेब कोई पदक ना ले।
दिल जिग़र आत्मा सब छोड़ कर है जाना ,
फिर से उसी शहर में जा कर है कमाना ,
अब तो काटेंगे हर दिन गिन गिन के ,
यादों को सिरहाने रख चुपके से सो है जाना।
यादों को समेटे ,
पलकों में अश्क़ छुपाये ,
अपने नगर हर डगर को अलविदा कह के।
रूह की कपकपाहट को कोई महसूस ना कर ले ,
नम्न नेत्र देख कहीं वो रो ना दे ,
रखना पड़ता है चेहरे पे
कहीं अपनों से ये फरेब कोई पदक ना ले।
दिल जिग़र आत्मा सब छोड़ कर है जाना ,
फिर से उसी शहर में जा कर है कमाना ,
अब तो काटेंगे हर दिन गिन गिन के ,
यादों को सिरहाने रख चुपके से सो है जाना।
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