टूटा टूटा वो book 39

टूटा टूटा वो

टूटा-टूटा वो 

छूटा-छूटा वो

रिश्ता-रिश्ता वो 

रास्ता-रास्ता वो

ये कैसा है दौर

सब रहे हैं दौड़

मंज़िलों की ओर

इंसानो की होड़।।

टूटा -टूटा वो 

छूटा-छूटा वो

रस्मे-रस्मे वो 

राहें-राहें वो

ये कैसा है शहर

लगता है डर

जिंदगी जैसे हो ज़हर

वक़्त जरा तू ठहर

वक़्त जरा तू ठहर।।

टूटा-टूटा वो

छूटा-छूटा वो

यारी-यारी वो

गलियां-गलियां वो

ये कैसा है बाग,

नहीं उगते गुलाब

जाने क्यों लगी है आग

दिलों में ना हो कोई भाग

दिलों में ना हो कोई भाग।।

टूटा-टूटा वो

छूटा-छूटा वो


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