ये मुल्क़ वही है प्यारों का
ये मुल्क़ नहीं है परायों का ये मुल्क़ वही है प्यारों का खुलके घुलते मिलते सिवयों में सौहादर्य छिपा है भाइयों का चाँद की कटोरी में पुआ पकाये होली का दूर है चाँद तो बाँट नहीं पायें सरहदें चंद पत्थरों से दिल ना फूटेगा हम भाइयों का। इंसानो को हैवान बना रहे हैं कुछ लोग धर्म के नाम पे माहौल बिगाड़ रहे हैं लोग सियासत की रोटी सेकने के लिए घर बार जला रहे हैं कुछ लोग। दहशतगर्दो को होगा दोज़क नसीब काटने पीटने वालों का ना होता कोई कौम ये लड़ाई नहीं है महजबी न होता आतंकी का कोई धरम। ये मुल्क़ नहीं है परायों का ये मुल्क़ वही है प्यारों का