बचाने की ज़रूरत है-पर्यावरण को प्रताड़ना से book11
बचाने की ज़रूरत है
प्रकृति को शोषण से,
पर्यावरण को दोहन से,
वरना
तापमान बढ़ता ही जाएगा
वन-जन-जन्तु का जीना मुश्किल होगा
बचाने की ज़रूरत है
गर्मी को शीत से,
आर्द्रता को शुष्क से,
वरना
रेगिस्तान में बर्फ गिरेगी,
बारिश में सूखा होगा।
बचाने की ज़रूरत है
बादलों को गिरते तापमान से
प्रदूषित SO2 और NO2 se
वरना
बूंदों की जगह ओला गिरेंगे,
बारिश नहीं अल्मीय वर्षा होगी।
बचाने की ज़रूरत है
ओज़ोन को cfc से,
धरती को UV विकिरण से
वरना
समुंद्री जल स्तर बढ़ता ही जाएगा
बाढ़ को संभालना मुश्किल होगा
बचाने की ज़रूरत है
थल एवं जल को प्लास्टिक और अन्य क्षेपण से
फिज़ा को हानिकारक गैसों से,
वरना
शुद्ध जल घटता ही जायेगा
सांस भी लेना मुश्किल होगा
जीव जन्तु जिन्दा ना रह पाएंगे
अंत में प्रलय से बचना मुश्किल होगा।
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