मेरे सपनों की नगरी book33
मेरे सपनों की नगरी के शिल्पकार से मिलवा दो
जिसने लिखी है मेरी पट कथा उस रचेता से मिलवा दो
आँखों इतने तारे क्यों हैं चमचमाते
इतने नहीं चाहिए बस एक चाँद ही दिला दो
बहुत रंग हैं छूट गए
उस कलाकार को कोई तो बता दो
इतनी बेजान आवाज़ें जो निकलतीं हैं
उन्हें कोई रागिनी तो बना दो
जितनी धड़कने उतनी हैं हसरतें
मेरे सपनों के संसार में
कम से कम एक दिया तो जला दो
फंसा हूँ ज़िन्दगी की मझधार में
मुझे मेरे माझी से मिलवा दो
रात में अकेले डर जाता हूँ
ठीक से सो भी नहीं पाता हूँ
मुझे कम से कम मेरी माँ से मिलवा दो
मेरे सपनों की नगरी के शिल्पकार से मिलवा दो
जिसने लिखी है मेरी पट कथा उस रचेता से मिलवा दो
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