हवाओं ने जो रुख बदल लिया है book15

हवाओं ने जो रुख बदल लिया है
मौसम ने भी तेवर बदल लिया है

तिनके जो अक्सर किसी का सहारा बनते थे
उन्हीने ने भी घोंसला बनना पसंद किया है

वृक्ष जो रहते थे सीना ताने
उन्होंने भी अब झुकना पसंद किया है

चिंगारियां जो पहले दहक जाती थीं
उन्होंने भी अब बुझना पसंद किया है

कश्तियाँ जो मझधार से लड़ जाती थीं
उन्होंने भी अब डूबना पसंद किया है

आत्माएं जो इंसान में जन्म लेना चाहतीं थी
उन्होंने भी अब जानवर बनना पसंद किया है

अये दुनिया के हुक्मरानों ऐसा माहौल मत बनाओ
कि ज़िंदगी जीना ही छोड़ दे....
और बदलाव अगर आ जाएगा तो

अंधेरे जो रौशनी से डरा करते थे
उन्होंने आज सूरज बनना पसंद किया है।

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