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Showing posts from November, 2021

जज़बातों की ड्रीम राइड

जहां से चला था घूमकर फिर वहीं खड़ा हूँ, अभी पूर्णतः मरा नहीं, अधमरा हूँ। टूटा-टूटा वो , छूटा-छूटा वो रिश्ता-रिश्ता वो ,रास्ता-रास्ता वो ये कैसा है दौर,सब रहे हैं दौड़ मंज़िलों की ओर,इंसानो की होड़।। आकांक्षाओ और इक्षाओं के बीच, कहीं तो आज़ादी दब सी गयी है, हर कुछ पाने की असीम चाह में, ज़िन्दगी देखो कहीं छूट सी गयी है, टूटा -टूटा वो, छूटा-छूटा वो रस्मे-रस्मे वो, राहें-राहें वो ये कैसा है शहर लगता है डर जिंदगी जैसे हो इक ज़हर, वक़्त जरा तू ठहर वक़्त जरा तू ठहर।। मन को जब खामोश अकेले टटोलता हूँ, तो एक दर्द का आभाष होता है, सब कुछ पाकर भी जैसे कुछ ना पाया हो, ये जीवन अधूरा सा रह गया प्रतीत होता है। मुसाफ़िर यूँही चलता रहा, ना ठहरा, ना रूका मंज़िल तू हि बता ना पास मैं आया, ना दूर तू गया। जहां से चला था घूमकर फिर वहीं खड़ा हूँ, अभी पूर्णतः मरा नहीं, अधमरा हूँ।

जज़्बातों की ड्रीम राइड मोटिवेशन

अपनी शर्तों पे जीना चाहोगे तो कष्ट होगा ही, यूँही नहीं नदी पत्थरों से टकरा अपनी राह बनाती है, कौन नहीं चाहता कि कैद में बुलबुल रहे, बाज बन जा उससे दुनिया भय खाती है, नभ में जब तू ऊंची उड़ान भरेगा, तब सब तुझे डराएंगे मज़ाक भी उड़ाएंगे, संयम से तू बस उड़ते चले चलना, आसानी से कौन अपना मंज़िल पाया है, कितने आएं और कितने गएं, बस चंद लोग हैं जिन्होंने ने नाम कमाया है ज़िन्दगी तेरी है तो जीने की शर्तें भी तेरी हो, नियमों में बांध कर कौन आज़ादी को रख पाया है

युगों युगों

समय की फेर में फंसा तो सूर्य भी है लेकिन देखो कैसे वो डूबता रहा, उगता रहा और चमकता रहा तू ये मत भूल के तू इंसान है युगों- युगों से कैसे तू लड़ता रहा, जूझता रहा और उभरता रहा..

तस्वीरें

मेरी तस्वीरें बेजुबां नहीं वो बहुत कुछ कहतीं हैं अपने अंदर छुपा रखा है एक पल को जो गुजरे हुए कल की एक दास्तां बयां करतीं हैं मेरी तस्वीरें हाँ जरूर ख़ामोश दिखतीं हैं  मगर समेट रखा है अपने अन्दर अनंत यादों को जो बहुत सारी बातें किया करतीं हैं हाँ बहुत बातें किया करती हैं मेरी तस्वीरें।

rishte

Haan tuta hua pada tha wo ghar ke ek kone mein bahut dino se,  koi uspe dyaan bhi nahin deta yunhi pada hua tha wo mahino se, Family members aate jaate ghumte phirte rehte uske charo traf hie Lekin koi bhi haal tak nahin  puchhta tha usse, Aadat jo ho gayi thi sabhi ko unhi jo rehne ki, Sab busy chal rahe the apni apni zindagi mein, Kisi ko koi parwah nahin aakhir zindagi toa chal hi rahi thi, Haan zindagi kisi ke liye rukti nahin bas chalti rehti hai Kabhi khamosh toa kabhi chinkhti hui daaurti bhagti rehti hai Shehar mein, shehar ki galiyon mein Unn makaano mein Jahan tute pade milte hain kisi kone mein Khamosh gumsum darre hue se rishte. (2)

असभ्यता की लकीरें book26

कभी देखा है दीवारों पे पड़ी हुई पान के छीटों को क्या वे मामूली छीटें हैं नहीं बल्कि छाप छोड़ती असभ्यता की लकीरें हैं। कभी देखा है ट्रेन में पड़ी हुई केले और बदाम के छिलको को, क्या वे मामूली से छिल्के हैं, नहीं बल्कि छाप छोड़ती असभ्यता की लकीरें हैं। कभी देखा है रोड पे फेखी हुई घर के कचरे को क्या वो मामूली सा कचरा हैं नहीं बल्कि छाप छोड़ती असभ्यता की लकीरें हैं। कभी देखा है गाड़ियों से फेकते हुए बेकार थैली और बोतल को क्या वे मामूली से प्लास्टिक हैं नहीं बल्कि छाप छोड़ती असभ्यता की लकीरें हैं। Kabhi dekha hai.... deewaron pe padi hui.... paan ke chhitoan ko, kya ve mamuli paan ke chhintein hain, nahin balki chhap chhorti.. asabhyata ki lakerein hain. Kabhi dekha hai.... train mein padi hui... kele aur badam ke chhilko ko, kya ve mamuli se chhilke hain, nahin balki chhap chhorti, ashabyata ki lakerien hain

घोसलों का हौंसला

शहर में भी अब चिड़िये चहचाहतीं हैं सहर में क्या खूब गुनगुनातीं हैं बारिश में पत्तों के धूल जाने पर शजर कितना दिल को भातीं हैं। उस पंछी के घोंसले का हौसला तो देखो सूखी टहनियों पे टिका हैं फिरभी हवाओं को चुनौती दिए जा रहीं हैं।

safalta adhikaar hai video 3

Khwab sirhane rakh kar soya Jab- Jab tuta phut kar roya Uske liye jaga kayi raatein Phir bhi wo mera naa ho paya (2) Har jagah sapno ki gunjati chitkar hai Katal hue swapn ka abb lena pratikar hai Chalta rah abhramit ruk gaya toa haar hai Jo naa lad saka toa jeena bekaar hai Lakshya ko sadhe rakh (2) Kyunki Safalta adhikaar hai (3) Sayah raatein laal ho gayin hain Hasratein badhaal ho gayin hain Marte hain roj khwab yahan par Jist bhi muhaal ho gayi hai Main girunga phir uthunga  Tut kar bhi phir jutunga Bujh- bujh kar hie sahi jalta rahunga Laga le tu jor jitna bhi ye zindagi Naa manunga haar (2) Kyunki.... Safalta adhikaar hai (3) Bujha de jo tere khwab hain Bhula de jo hai teri manjil Maan le abb haar tu Maan kar mukaddar isse Waqt mana ki tujhme hai bahut dum Mere saath bhi hai mera karam Tere haatho mein agar hai bhagya ki kamaan Toa mere paas bhi hai mata pita ka vardaan Thaka mujhe, gira mujhe, kar tu mujhe pareshaan Har samay ki patakatha pe geet likhta jaaunga Dharya hai itna

बिहार के बरबादी

जाति- जाति खेलत खेलत होईल हालात खराब बा फिर ना दे दियह भोट ओकरा जो तहार खास बा केतना पीढ़ी बरबाद हो गइल घरे- घर बेगार बा फिर ना दे दियह भोट ओकरा जो तहरे जात बा। का सोंच के भोट देले रहिनि बाबू जी ए चाचा तू ही बता दा ना देखा हमरा के बइठल बानी बेरोजगार आपन मंत्री जी के कह के नोकरी दिला द ना ये से तो एही निमन होइत के हमरा के तू पढ़sइता ना हमहू निकल जईsतिन दिल्ली बंबई मजदूर बनके आखिर कमईति ना हम त बस धोबी के कुत्ता रह गईलिन कम्पटीशन ना निकलल त माने हम पढ़नी ना कितना रात भर हम दीया जलईलिन सरकारी नोकरी आखिर मिल्लस ना ऐ हालत के हमहि खाली जिम्मेदार नईखी तू हे सब सही नेता चुनलsह ना आपन जात के नाम प भोट देते रहिलह काम काज के देखलह ना अब हम का करीं ऐ बाबूजी ऐ चाचा तू ही बता दा ना बिहार के ना किस्मतें खराब रहा वो दूसरों से ज्यादा अपनो से परेशान रहा आज़ादी के बाद 1990 तक 43 सालों में 20 मुख्यमंत्री रहें 24 बार बदलाव हुआ उसी दौरान 5 बार राष्ट्रपति शासन भी लगा कुर्सी के खिंचा तानी में नेताओं के मनमानी से बिहार उस दौरान बहुत अस्थिर रहा फिर एक जन नेता उभरा लगा जैसे गरीबों पिछड़ो का मसीहा आया लेकिन उसका लालटे

yaadein lyrics english video 4

Wo gaon ki galiyan yaad aatin hain Ghar ki chaukhat roj bulati hain Hain itni majburiya ki apno se dur hain Warna ye paon toa ghar hi jaana chahti hain Wo maa ka thapki dekar sulana yaad aata hai Unka pyaar se betu bulana yaad aata hai Pichhe pichhe bhaag kar wo khana khilati thi Uska pyaar se kaan aithna yaad aata hai Uska pyaar se kaan aithna yaad aata hai Wo papa ka cycle sikhana,  shaam mei bazaar ghumana yaad aata hai School jate waqt paise thama dena Pyaar se gaal dabana yaad aata hai Pyaar se gaal dabana yaad aata hai Wo bhaiya ke saath khelna Uske kadmon ke nishan ke pichhe chalna Kai kai dino tak baatein nahin karna Wo ruthna manana yaad aata hai Ruthna manana yaad aata hai Wo doston ke saath ghumna Chai ke saath baatein khurana Jis chaurahe pe hum bichhad gaye the Wo chauraha purana yaad aata hai Wo chauraha purana yaad aata hai Iss dhul bhare sehar mein Ghar ka har phul patta yaad aata hai Nikal aaye itne durr ke har raah pe Ghar ka pata yaad aata hai Sapno ke sehar mein apn

याद आता है new

वो गाँव की गलियां याद आतीं हैं, घर की चौखट हर रोज़ बुलातीं हैं, हैं इतनी मज़बूरियां की अपनो से दूर हैं, वरना ये पाँव तो घर ही जाना चाहतीं हैं, वो माँ का थप्पी देकर सुलाना याद आता है उनका प्यार से बेटू बुलाना याद आता है पीछे पीछे भाग कर वो खाना खिलाती थी उसका गुस्से से कान ऐठना याद आता है। वो पापा का साईकल सीखना शाम में बाजार घुमाना याद आता है, स्कूल जाते वक़्त पैसे थमा देना प्यार से गाल दबाना याद आता है। वो भईया के साथ खेलना  कदमों के पीछे चलना याद आता है, कई- कई दिनों तक बातें नहीं करना रूठना मनाना याद आता है। वो दोस्तों के साथ घूमना चाय के साथ बातें घुमाना याद आता है जिस चौराहे पे बिछड़ गए थे वो चौराहा पुराना याद आता है इस धूल भरे महानगर में घर का हर फूल पत्ता याद आता है निकल आएं इतने दूर के हर राह पे घर का पता याद आता है। सपनों के शहर में अपने छूट गएं, निकले थे कहीं और कहीं पहुँच गएं मंज़िलों के सफ़र में हर खोया हुआ रास्ता याद आता है।  हर रास्ते पे भटकना याद आता है.....

थोड़ा पी लेता हूँ video no. 6

सच मैं बोलता रहा शराब बदनाम होती रही जितना समझना चाहा ज़िन्दगी तमाम होती रही। थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ अकेले में कभी-कभी रो लेता हूँ तुझसे बहुत परेशान हूँ ज़िन्दगी फिरभी हँस के तुझे ढो लेता हूँ मेरी फरमाइश तो बहुत है  पर हर बाज़ार में मैं बिकता नहीं हूँ दर्द के अफसानों में अब तो हँसने की आदत सी पड़ गयी है अब दिल तड़पता भी है तो  बेखुद मैं हँसता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। सपनों को टूटते देखने की आदत सी पड़ गयी है लेकिन हकीकत से रूबरू होता हूँ तो मैं पिघलता बहुत हूँ सिगरेट के धुंए से ये दिल जलता बहुत है ख़ाक हो रहे अरमानों के धुएं में मैं घुटता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ कहते है लोग की आईना सच बोलता है पर टूटे हुए आईने में मैं आखिर क्या देखूँ किसी से प्यार से बात करो तो गलत समझते है लोगों की उलटी बातें मैं समझता बहुत हूँ आखिर कैसे समझाऊँ मैं इस दिल को खुद से बातें कर खुद को बहलाता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ ये ज़िन्दगी पंचतंत्र की कहानियाँ नहीं हैं फिरभी इसे आधार बना बेवकूफ़ मैं लड़ता बहुत हूँ थक गया हूँ मैं इस ज़द्दोज़हत से पागल हूँ मैं दोस्तों शायद

जिंदा लाश

मेरे शब्दों में इतनी शक्ति नहीं कि इनके दुःख को बयां कर सकूँ मेरी ऐसी हस्ती नहीं जो इनके दर्द की एक आवाज़ बन सकूँ कितना असहाय, मजबूर, बेबस हो जाता है इंसान काश मुझे मिल जाती ऐसी शक्ति जिससे इनकी पीड़ा हर सकूँ जब भगवान ने ही कर रखा है पक्षपात इनके साथ तो मैं इंसानी हुक्मरानों को से क्या अपेक्षा करूँ खून से लथपथ पैर रोते बिलखते बच्चे वे सब तो पहले से ही मरे हुए है जिंदा लाशों की दास्तान मैं आखिर कैसे बयां करूँ मजबूर मजदूर कह कह के पुकार रहें है सभी लोग इन्हें ये भी हमारी तरह इंसान ही हैं ये मैं किस- किस को और कैसे समझाऊं

दारुबन्दी परिचय

जिस तरह खूबसूरत शाम जो अपने ओट में एक अंधेरे को छुपाये रहती है हम उसकी खूबसूरती को निहारते रहते हैं और अंधेरा हमें अपने आगोश में ले लेता है ठीक उसी तरह पीने वाला तो बस शराब के नशे में मदहोश रहता है उसे वो समय सबसे अच्छा लगता है और धीरे धीरे उसे पता भी नहीं चलता के कब शराब उसे पीने लग जाती है, दोस्तों की संगति में पिया हुआ एक घूंट कब एक लत का रूप ले लेती है पता भी नहीं चलता, साधरणतः पहले एक व्यक्ति अलग अलग पायदानों से गुजरता है सबसे पहले वो उसने पिला दिया वाले कैटेगरी में रहता है, दूसरा फिर वो ओकाशनल ड्रिंकर बनता है, फिर सामाजिक पियक्कड़, सामाजिक के साथ अकेले भी पी लेने वाला और अंतिम में बेवड़े की उपाधि लिए फिरता रहता है जिंदगी भर चाहे वो पिये या नहीं, इस दौरान वो जहां वो कुछ पेग से शुरुआत करता है वहीं आखरी वाले पायदान तक वो घर में रखे हर एक बोतल की हर एक बूंद तक पिये वाल बन जाता है और हर बार पीने के बाद कल से नहीं पियूँगा शराब बहुत खराब चीज़ है बोल कर सो जाता है और सुबह उठने के पश्चात जब उसकी अत्रियाँ जवाब देने लगतीं हैं और शरीर फड़फड़ाने लगता है तब आज से नहीं पियूँगा बोलकर वो अपने रोजमर्रा

शाहाबाद

आरा जिला में एक पुरानी कहावत है "आरा जिला घर बा तो कौन बात के डर बा" जितनी वहाँ की भाषा दबंग है तो वहीं भोजपुरी गानों में अलग रस भी है। 80's और 90 का दशक शाहाबाद जिला क्षेत्र के लिए बदलाव का दशक था, एक तरफ जहाँ कम्युनिस्ट ने पांव पसारने शुरू कर दिए थे जिसने नक्सल को जन्म दिया, जो बड़ी जाती वालों के लिए नासुड़ बन चुका था, जिसके कारण रणवीर सेना जैसे गुटों का जन्म हुआ, उस समय कई नरसंघार हुए जिसमे कई गांव के गांव तबाह हो गए, बड़े से बड़े रसूकदार मारे गए, कितने खेतों पे नक्सलाइट ने अपना लाल झंडा लगा दिया जिसके खिलाफ उस खेत में कोई खेती नहीं कर सकता था वहीं दूसरी तरफ 90 में बिहार में राजनीतिक परिवर्तन से सामाजिक दायरा बहुत कम हुआ जहाँ पहले कोई पिछड़ी जाति किसी फॉरवर्ड के सामने नहीं बैठ सकता था वहीं पिछड़ी जाति अपना आवाज़ उठाने लगा जिससे होने लगा सदियों से आ रहे सवर्ण जाती के शोषण का अंत जिससे आयी सामाजिक अस्थिरता, पिछड़े और सवर्णों में वर्चश्व की लड़ाई बढ़ती गयी, नए सरकार की विफलता ने बिहार को एक जंगल राज में तब्दील कर दिया। भोजपुर जिले में एक बहुत ही रसूकदार, वसूलों के पक्के व्यक्ति हुआ