ज़िन्दगी जी बस खुल कर जीने के लिए book42

समय मुझे अपने बहाव में बहा देना चाहती है
मैं अपने हिसाब से तैरना चाहता हूँ,
लोग तो अपने हिसाब से चलाते थे और चलाते ही रहेंगे,
मैं एक बार और बार-बार
ज़िन्दगी से मुहब्बत करना चाहता हूँ,
लोगो ने तो समय को भी घड़ी में कैद कर रखा है
मैं जिंदा नहीं महज जीने के लिए
आज़ाद था और मैं आज़ाद ही रहना चाहता हूँ।

मेरे हौंसलों की उड़ान अभी देखी हैं कहाँ
आसमान को भी धरती पे झुका रखा है
गिर गया एक दो बार तो क्या मैं मिट्टी में मिल गया हूँ
देख फिर खड़ा हूँ फिर गिरने के लिए,
गिरने के डर से तू भले ना चले,
देख मेरे पर फिर उगे हैं उड़ान भरने के लिए।
देख मेरे पर फिर उगे हैं उड़ान भरने के लिए।।

बंदे मेरे बंधु तू कोशिश करना ना छोड़ देना
ऊपर वाला जरूर मिलेगा तेरी फर्याद सुनने के लिए
शिकायत ना करना तू उसकी और ना किसी की
शुक्रिया अदा करना बेशक़ तुझे ज़िन्दगी देने के लिए
अपने हिसाब से जीना है तो लड़ना ही पड़ेगा
आज कल भीख भी देते हैं लोग पुण्य कमाने के लिए
औरो की ना देख अपनी करता जा
ज़िन्दगी जी तो बस खुल कर जीने के लिए
ज़िन्दगी जी तो बस खुल कर जीने के लिए।।


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