क्या पूरा कर पाऊंगा book48
आँखों में नींदें नहीं
अब ख्वाब रहते है
पलती है ख्वाहिशें
बच्चों की उम्मीदें
उनकी सारी जरूरतें
क्या पूरा कर पाऊंगा
अच्छा खाना पीना
अच्छे से रहना सहना
पढ़ना लिखना पहनना
बिस्कुट चॉकलेट चिप्स
छोटी-छोटी सी चाहतें
क्या पूरा कर पाऊंगा
नन्हे-नन्हे हैं ख्वाब
थोड़ी सी है ख्वाहिशें
एक टॉफी भर ही तो
हैं इनकी फरमाईशें
बच्चों जैसी ही जरूरतें
क्या पूरा कर पाऊंगा
आजकल कमा नहीं पाता
घर संभाल नहीं पाता
बंद हो गया कारोबार
कोई नौकरी भी नहीं देता
आखिर बिना पैसे के
क्या पूरा कर पाऊंगा
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