नींद book24

अर्धरात्रि हो ही जाती है
सब समेटने में साहब
सबकी उम्मीदें हैं,
ख्वाहिशें हैं, जरूरतें हैं
खुद में हौंसला भी चाहिए
हर रात संजोने के लिये
सबको ख्वाब बना कर
नींद में पिरोने के लिये।

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