आज मैंने ज़िन्दगी को देखा book22

आज मैंने ज़िन्दगी को देखा
बड़े ही गौर से देखा
सुबह से शाम
शाम से सुबह तलक देखा
पाया बहुत खोया थोड़ा सा
उस खोये हुए को पाने के लिए
आज मैंने ज़िन्दगी को देखा
बड़े ही गौर से देखा
टूटा हुआ तो बस एक सपना था
उसको पाने के लिए
एक और सपना देखा
नींद नहीं आ रही थी फिरभी सो रहा था
ख्वाबों को कच्ची नींद में पिरो रहा था
आज मैंने ज़िन्दगी को देखा
बड़े ही गौर से देखा
निगाहें ना जाने क्या तलाश रहीं थी
हर मंज़र में हर कोई अपना दिखा
पूछा उनसे तो हर बार
एक नया रास्ता दिखा
आज मैंने ज़िन्दगी को देखा
बड़े ही गौर से देखा

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