महात्मा बन गएं
यूँही नहीं गांधी मोहनदास से महात्मा बन गएं
काले कोट को त्याग सफेद खादी धारण किया
उन्होंने कोर्ट के महत्वकांक्षी गलियारों को छोड़
गांव की पगडंडियों पे चलना पसंद किया
गोरे काले का भेद मिटा जात पात से ऊपर उठ
उनके लिए हमेशा देशहित सर्वोपरि रहा
निहत्ते निडर खड़े हो कर सत्य अहिंसा का मार्ग दिखाया
अफ्रीका हो या बिहार शोषण के खिलाफ
सत्याग्रह को अपना अहम हथ्यार बनाया
आमरण अनसन हो या भूख हड़ताल
उन्होंने देशवासियों के लिए हर त्याग किया
असहियोग आंदोलन से अहिंसा का पाठ पढ़ाया
तो सविनय अवज्ञा हेतु दांडी मार्च भी किया
बार-बार जेल जाने पर भी
उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा बुलंद किया
देश के दो बेटों को साथ लेकर चलना चाहते थे
लेकिन देश विभाजित होने से बचा ना सके
अंत में वो ना समझो द्वारा गोली का शिकार हो गएं
यूँही नहीं गांधी मोहनदास से महात्मा बन गएं।
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