यादें बुक31
दिल की व्याख्या करने को
जब काग़ज़ पे क़लम ले उतरा
यादों से घिरा मेरा मन
भूत काल में चलता चला।
तरह तरह के भाव हैं अातें
न जाने कैसी है ये व्यथा
यादों के हर रंग को समाने
रंग क़लम अब है आ निकला।
कितना रोचक कितना सुहाना
हर दर्द का तीस-तीस कर जाना
वापस अब है किसको जाना
अच्छा लग रहा है यादों में आना।
गुज़रगएं इतने साल और इतने महीने
आएँ कितने मोड़ छूटें कितने पसिने
यादें सिखा रहीं हर पल को जी ले
हर पल को जित ले, हर पल जी ले।
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