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Showing posts from July, 2025

तुम बिन हम ना रह पाएंगे (old dairy 30.08.04)

कोशिशें हज़ार की हर कोशिश नाकाम हुई, तुझे सोंचे बिना हम रह पाएं, इस दिल ने नहीं इजाज़त दी, हर दिन नामुमकिन सा लगे, तुझे देखे बिना जीना, हर दिन उदास सा लगे, तुझे सुने बिना रहना, हर एक वादा निभाएंगे, कभी ना सताएंगे, तुम हमेशा मेरी रहना, तुम बिन हम ना रह पाएंगे। तुम बिन हम ना रह पाएंगे।।

बस रब जाने (Old Dairy 25.08.2004)

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तेरी चाहतों को सीने से लगा कर, ढेरों सपने देखे हैं हमने, उन ख़्वाबों को सिरहाने रख कर, काटीं हैं कितनी रातें हमने, वो बेख़बर मेरे हमसफर मुझसे ज्यादा, तू खुद को भी ना जाने, क्या होगा हमारे प्यार का ना मैं जानूँ, ना तू जाने, बस रब जाने।

वज़ह है क्या

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मेरेनसीब के साथ छोड़ने की वज़ह है क्या मेरे अपनो के रूठने की वज़ह है क्या। माना के हाथों की लकीरें मेरे काबू में ना रहीं, लेकिन मेरे दिल के बागी होने की वजह है क्या। माना के अनेकों तारे जीतने मेरे दोस्त खफ़ा हो गयें, लेकिन मेरे अपने चाँद के खोने की वज़ह है क्या। माना के वो मुझे छोड़ चली गयी और मै बेसुद रह गया, लेकिन बार बार मेरे नब्ज़ को टटोलने की वज़ह है क्या।

पापा

दुनिया में अगर कोई असली हीरो हैं तो वो हैं पापा जब जब मैं गिरा, आपकी बहुत याद आई  जो जो बातें समझाईं थी वो सब याद आईं  आपसा कोई नहीं है दूजा  जितनी भी करूँ कम है पूजा आपसे ही तो है ज़िन्दगी मेरी आज जो भी मैं हूँ  वो आपसे ही हूँ आपके बिना तो मैं अधूरा भी नहीं हूँ पापा मेरे प्यारे पापा आपसा कोई नहीं प्यारा आपसे ही ये जग सारा पापा मेरे प्यारे पापा मेरी लाइफ के सुपर हीरो  आपके बिना मैं तो जीरो मम्मी की मार से बचाते कितना भी थक जाते मुझे कांधे पे घुमाते बिना मांगे सब कुछ लाते पता नहीं कैसे जान जाते पापा मेरे प्यारे पापा आपसा कोई नहीं प्यारा आपसे ही ये जग सारा पापा मेरे प्यारे पापा जब भी गिर जाता था  आप उठाने आते थे हौसला मेरा बढ़ाते थे अब जब भी गिर जाता हूँ  आपकी याद बहुत आती है जीवन के आपा धापी में कमी बहुत खलती है पापा मेरे प्यारे पापा आपसा कोई नहीं प्यारा आपसे ही ये जग सारा पापा मेरे प्यारे पापा क्यों छोड़ चले गए  हमसे रूठ क्यों गए हमसे क्या हुई है गलती क्या हमारी याद नहीं आती  क्या मेरी फिक्र नही सताती  अब तंग नहीं करेंगे कभी वापस आ जाइये अभ...

रुक मेरे बेटे

रुक मेरे बेटे थोड़ा wait कर, 2 min जरा सा wait कर चेक कर लेने दे मुझे पहले whatsapp चेंज कर लेने दे fb का status लिख लेने दे दो चार पंक्तियां yq पर फिर भेज लेने दे उन्हें insta पर रुक मेरे बेटे थोड़ा wait कर

कर्मपथ

कर्म पथ पे बढ़ता चल कदमताल से होती हलचल पथभ्रमित ना होना कभी त्याग ही दिलाता सुनहरा कल।

हवा कुछ कह रही थी- इश्क़ अश्क़

हवा कुछ कह रही थी धीमे-धीमे चुपके से फ़िज़ा में जो हो रही थी गुफ़्तगू हमारे बारे में... उसने सुनी थी बातें उस पीपल के पत्तों की जिसकी छाँव में हम एक दूसरे से मिलते थे। हंसते कभी, कभी तो रोते एक दूसरे के कंधों पे बारी- बारी सर रख कर सोंचते आलिंगन कभी, कभी चूमते एक दूसरे की आंखों में हम बहुत देर तक डूबे रहते चिंतित कभी, कभी भयभीत अपने भविष्य के बारे में हम कितनी ही बातें करते जो प्रेम किया करते थे वो सब कुछ देखा था वो सब कुछ सुना था उन पीपल के पत्तों ने वो ये भी विमर्श किया करते थे अलग-अलग धर्मों के होकर हम दोनों कैसे मिलेंगे इस कठोर समाज से कैसे लड़ेंगे वो ये भी बातें किया करते थे की हम कब तक मिला करेंगे उनके तने से अड़ कर हम कब तक लिपटते रहेंगे उनको अच्छा लगता था हमारा उनके नीचे प्रेम करना एक दूसरे की हाँथों में हाँथ डाल अक़ीबत के सपने बुनना उन्होंने पूछा है इन हवाओं से ही हमारी प्रेम कहानी के बारे में अब इनसे मैं क्या कहूँ हम जी रहे हैं अलग- अलग चौबारे में आखिर मैं हवाओं से क्या कहूँ हमारी अधूरी प्रेम कहानी के बारे में।

टूटता तारा

धीरे-धीरे छूट रहा जो भी था मुझे प्यारा मैं गिर रहा ऐसे जैसे कोई टूटता तारा

मैं नशे में हूँ

हाँ  मैं नशे  में हूँ  सही पकड़े हैं मैं चरसी से हूँ  ऐरा गैरा ना समझना  मैं हेरोइन  का सेवन करता हूँ  जहाँ जाऊं  जिसके पास जाऊं  मिलता बस नशा हैं हाँ मैं हूँ तुम जैसा ही, एक युवा मुझे देख कर सीख लेना मुझ जैसा नहीं है बनना हाँ भाई हाँ मैं मजे में हूँ पता नहीं क्यों मैं ऐसा हूँ मैं नशे में हूँ सही पकड़े हैं मैं चरसी से हूँ। 

दोनों

बचपन से साथ रहे खेले खुदे बड़े हुए एक दूसरे का हाँथ थाम दोनों खड़े हुए क्या खूब मुहब्बत थी दोनों में फिरभी ना जाने क्यों दोनों भाई अलग हुए। कैसे पनप जाता है खून में नफरत का बीज जिसे माँ ने अपने दूध से रखा होता है सींच पिता ने भी तो दिये थे बराबर प्यार और संस्कार फिरभी ना जाने क्यों बढ़े फासले दोनों के बीच। खीच गयी है दीवार दोनों के दरमियाँ बंट गयीं हैं घर की सारी खिड़कियाँ बंटे माँ बाप भी रोते रहते हैं अलग-अलग फिरभी ना जाने क्यों नहीं सुनते दोनों उनकी सिसकियाँ। पराये घर से आई कभी अपनी ना हो सकी बहु- बहु ही रह गयी कभी बेटी ना बन सकी चाहती तो सवांर कर रख सकती थी घर को फिरभी ना जाने क्यों दोनों साथ ना रह सकी दोस्तों उनसे कभी वफ़ा की उम्मीद मत रखना कोई- कैसा भी निजी संबंध मत रखना जो अपने भाई का ना हो सका वो तुम्हारा क्या होगा बस यही याद रखना।

जज़बातों की ड्रीम राइड

जहां से चला था घूमकर फिर वहीं खड़ा हूँ, अभी पूर्णतः मरा नहीं, अधमरा हूँ। टूटा-टूटा वो , छूटा-छूटा वो रिश्ता-रिश्ता वो ,रास्ता-रास्ता वो ये कैसा है दौर,सब रहे हैं दौड़ मंज़िलों की ओर,इंसानो की होड़।। आकांक्षाओ और इक्षाओं के बीच, कहीं तो आज़ादी दब सी गयी है, हर कुछ पाने की असीम चाह में, ज़िन्दगी देखो कहीं छूट सी गयी है, टूटा -टूटा वो, छूटा-छूटा वो रस्मे-रस्मे वो, राहें-राहें वो ये कैसा है शहर लगता है डर जिंदगी जैसे हो इक ज़हर, वक़्त जरा तू ठहर वक़्त जरा तू ठहर।। मन को जब खामोश अकेले टटोलता हूँ, तो एक दर्द का आभाष होता है, सब कुछ पाकर भी जैसे कुछ ना पाया हो, ये जीवन अधूरा सा रह गया प्रतीत होता है। मुसाफ़िर यूँही चलता रहा, ना ठहरा, ना रूका मंज़िल तू हि बता ना पास मैं आया, ना दूर तू गया। जहां से चला था घूमकर फिर वहीं खड़ा हूँ, अभी पूर्णतः मरा नहीं, अधमरा हूँ।

जज़्बातों की ड्रीम राइड मोटिवेशन

अपनी शर्तों पे जीना चाहोगे तो कष्ट होगा ही, यूँही नहीं नदी पत्थरों से टकरा अपनी राह बनाती है, कौन नहीं चाहता कि कैद में बुलबुल रहे, बाज बन जा उससे दुनिया भय खाती है, नभ में जब तू ऊंची उड़ान भरेगा, तब सब तुझे डराएंगे मज़ाक भी उड़ाएंगे, संयम से तू बस उड़ते चले चलना, आसानी से कौन अपना मंज़िल पाया है, कितने आएं और कितने गएं, बस चंद लोग हैं जिन्होंने ने नाम कमाया है ज़िन्दगी तेरी है तो जीने की शर्तें भी तेरी हो, नियमों में बांध कर कौन आज़ादी को रख पाया है

युगों युगों

समय की फेर में फंसा तो सूर्य भी है लेकिन देखो कैसे वो डूबता रहा, उगता रहा और चमकता रहा तू ये मत भूल के तू इंसान है युगों- युगों से कैसे तू लड़ता रहा, जूझता रहा और उभरता रहा..

तस्वीरें

मेरी तस्वीरें बेजुबां नहीं वो बहुत कुछ कहतीं हैं अपने अंदर छुपा रखा है एक पल को जो गुजरे हुए कल की एक दास्तां बयां करतीं हैं मेरी तस्वीरें हाँ जरूर ख़ामोश दिखतीं हैं  मगर समेट रखा है अपने अन्दर अनंत यादों को जो बहुत सारी बातें किया करतीं हैं हाँ बहुत बातें किया करती हैं मेरी तस्वीरें।

rishte

Haan tuta hua pada tha wo ghar ke ek kone mein bahut dino se,  koi uspe dyaan bhi nahin deta yunhi pada hua tha wo mahino se, Family members aate jaate ghumte phirte rehte uske charo traf hie Lekin koi bhi haal tak nahin  puchhta tha usse, Aadat jo ho gayi thi sabhi ko unhi jo rehne ki, Sab busy chal rahe the apni apni zindagi mein, Kisi ko koi parwah nahin aakhir zindagi toa chal hi rahi thi, Haan zindagi kisi ke liye rukti nahin bas chalti rehti hai Kabhi khamosh toa kabhi chinkhti hui daaurti bhagti rehti hai Shehar mein, shehar ki galiyon mein Unn makaano mein Jahan tute pade milte hain kisi kone mein Khamosh gumsum darre hue se rishte. (2)

घोसलों का हौंसला

शहर में भी अब चिड़िये चहचाहतीं हैं सहर में क्या खूब गुनगुनातीं हैं बारिश में पत्तों के धूल जाने पर शजर कितना दिल को भातीं हैं। उस पंछी के घोंसले का हौसला तो देखो सूखी टहनियों पे टिका हैं फिरभी हवाओं को चुनौती दिए जा रहीं हैं।

safalta adhikaar hai video 3

Khwab sirhane rakh kar soya Jab- Jab tuta phut kar roya Uske liye jaga kayi raatein Phir bhi wo mera naa ho paya (2) Har jagah sapno ki gunjati chitkar hai Katal hue swapn ka abb lena pratikar hai Chalta rah abhramit ruk gaya toa haar hai Jo naa lad saka toa jeena bekaar hai Lakshya ko sadhe rakh (2) Kyunki Safalta adhikaar hai (3) Sayah raatein laal ho gayin hain Hasratein badhaal ho gayin hain Marte hain roj khwab yahan par Jist bhi muhaal ho gayi hai Main girunga phir uthunga  Tut kar bhi phir jutunga Bujh- bujh kar hie sahi jalta rahunga Laga le tu jor jitna bhi ye zindagi Naa manunga haar (2) Kyunki.... Safalta adhikaar hai (3) Bujha de jo tere khwab hain Bhula de jo hai teri manjil Maan le abb haar tu Maan kar mukaddar isse Waqt mana ki tujhme hai bahut dum Mere saath bhi hai mera karam Tere haatho mein agar hai bhagya ki kamaan Toa mere paas bhi hai mata pita ka vardaan Thaka mujhe, gira mujhe, kar tu mujhe pareshaan Har samay ki patakatha pe geet likhta jaaunga Dharya hai i...

बिहार के बरबादी

जाति- जाति खेलत खेलत होईल हालात खराब बा फिर ना दे दियह भोट ओकरा जो तहार खास बा केतना पीढ़ी बरबाद हो गइल घरे- घर बेगार बा फिर ना दे दियह भोट ओकरा जो तहरे जात बा। का सोंच के भोट देले रहिनि बाबू जी ए चाचा तू ही बता दा ना देखा हमरा के बइठल बानी बेरोजगार आपन मंत्री जी के कह के नोकरी दिला द ना ये से तो एही निमन होइत के हमरा के तू पढ़sइता ना हमहू निकल जईsतिन दिल्ली बंबई मजदूर बनके आखिर कमईति ना हम त बस धोबी के कुत्ता रह गईलिन कम्पटीशन ना निकलल त माने हम पढ़नी ना कितना रात भर हम दीया जलईलिन सरकारी नोकरी आखिर मिल्लस ना ऐ हालत के हमहि खाली जिम्मेदार नईखी तू हे सब सही नेता चुनलsह ना आपन जात के नाम प भोट देते रहिलह काम काज के देखलह ना अब हम का करीं ऐ बाबूजी ऐ चाचा तू ही बता दा ना बिहार के ना किस्मतें खराब रहा वो दूसरों से ज्यादा अपनो से परेशान रहा आज़ादी के बाद 1990 तक 43 सालों में 20 मुख्यमंत्री रहें 24 बार बदलाव हुआ उसी दौरान 5 बार राष्ट्रपति शासन भी लगा कुर्सी के खिंचा तानी में नेताओं के मनमानी से बिहार उस दौरान बहुत अस्थिर रहा फिर एक जन नेता उभरा लगा जैसे गरीबों पिछड़ो का मसीहा आया लेकिन उसका लालटे...

yaadein lyrics english video 4

Wo gaon ki galiyan yaad aatin hain Ghar ki chaukhat roj bulati hain Hain itni majburiya ki apno se dur hain Warna ye paon toa ghar hi jaana chahti hain Wo maa ka thapki dekar sulana yaad aata hai Unka pyaar se betu bulana yaad aata hai Pichhe pichhe bhaag kar wo khana khilati thi Uska pyaar se kaan aithna yaad aata hai Uska pyaar se kaan aithna yaad aata hai Wo papa ka cycle sikhana,  shaam mei bazaar ghumana yaad aata hai School jate waqt paise thama dena Pyaar se gaal dabana yaad aata hai Pyaar se gaal dabana yaad aata hai Wo bhaiya ke saath khelna Uske kadmon ke nishan ke pichhe chalna Kai kai dino tak baatein nahin karna Wo ruthna manana yaad aata hai Ruthna manana yaad aata hai Wo doston ke saath ghumna Chai ke saath baatein khurana Jis chaurahe pe hum bichhad gaye the Wo chauraha purana yaad aata hai Wo chauraha purana yaad aata hai Iss dhul bhare sehar mein Ghar ka har phul patta yaad aata hai Nikal aaye itne durr ke har raah pe Ghar ka pata yaad aata hai Sapno ke sehar mein...

याद आता है new

वो गाँव की गलियां याद आतीं हैं, घर की चौखट हर रोज़ बुलातीं हैं, हैं इतनी मज़बूरियां की अपनो से दूर हैं, वरना ये पाँव तो घर ही जाना चाहतीं हैं, वो माँ का थप्पी देकर सुलाना याद आता है उनका प्यार से बेटू बुलाना याद आता है पीछे पीछे भाग कर वो खाना खिलाती थी उसका गुस्से से कान ऐठना याद आता है। वो पापा का साईकल सीखना शाम में बाजार घुमाना याद आता है, स्कूल जाते वक़्त पैसे थमा देना प्यार से गाल दबाना याद आता है। वो भईया के साथ खेलना  कदमों के पीछे चलना याद आता है, कई- कई दिनों तक बातें नहीं करना रूठना मनाना याद आता है। वो दोस्तों के साथ घूमना चाय के साथ बातें घुमाना याद आता है जिस चौराहे पे बिछड़ गए थे वो चौराहा पुराना याद आता है इस धूल भरे महानगर में घर का हर फूल पत्ता याद आता है निकल आएं इतने दूर के हर राह पे घर का पता याद आता है। सपनों के शहर में अपने छूट गएं, निकले थे कहीं और कहीं पहुँच गएं मंज़िलों के सफ़र में हर खोया हुआ रास्ता याद आता है।  हर रास्ते पे भटकना याद आता है.....

थोड़ा पी लेता हूँ video no. 6

सच मैं बोलता रहा शराब बदनाम होती रही जितना समझना चाहा ज़िन्दगी तमाम होती रही। थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ अकेले में कभी-कभी रो लेता हूँ तुझसे बहुत परेशान हूँ ज़िन्दगी फिरभी हँस के तुझे ढो लेता हूँ मेरी फरमाइश तो बहुत है  पर हर बाज़ार में मैं बिकता नहीं हूँ दर्द के अफसानों में अब तो हँसने की आदत सी पड़ गयी है अब दिल तड़पता भी है तो  बेखुद मैं हँसता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। सपनों को टूटते देखने की आदत सी पड़ गयी है लेकिन हकीकत से रूबरू होता हूँ तो मैं पिघलता बहुत हूँ सिगरेट के धुंए से ये दिल जलता बहुत है ख़ाक हो रहे अरमानों के धुएं में मैं घुटता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ कहते है लोग की आईना सच बोलता है पर टूटे हुए आईने में मैं आखिर क्या देखूँ किसी से प्यार से बात करो तो गलत समझते है लोगों की उलटी बातें मैं समझता बहुत हूँ आखिर कैसे समझाऊँ मैं इस दिल को खुद से बातें कर खुद को बहलाता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ ये ज़िन्दगी पंचतंत्र की कहानियाँ नहीं हैं फिरभी इसे आधार बना बेवकूफ़ मैं लड़ता बहुत हूँ थक गया हूँ मैं इस ज़द्दोज़हत से पागल हूँ मैं दोस...

दारुबन्दी परिचय

जिस तरह खूबसूरत शाम जो अपने ओट में एक अंधेरे को छुपाये रहती है हम उसकी खूबसूरती को निहारते रहते हैं और अंधेरा हमें अपने आगोश में ले लेता है ठीक उसी तरह पीने वाला तो बस शराब के नशे में मदहोश रहता है उसे वो समय सबसे अच्छा लगता है और धीरे धीरे उसे पता भी नहीं चलता के कब शराब उसे पीने लग जाती है, दोस्तों की संगति में पिया हुआ एक घूंट कब एक लत का रूप ले लेती है पता भी नहीं चलता, साधरणतः पहले एक व्यक्ति अलग अलग पायदानों से गुजरता है सबसे पहले वो उसने पिला दिया वाले कैटेगरी में रहता है, दूसरा फिर वो ओकाशनल ड्रिंकर बनता है, फिर सामाजिक पियक्कड़, सामाजिक के साथ अकेले भी पी लेने वाला और अंतिम में बेवड़े की उपाधि लिए फिरता रहता है जिंदगी भर चाहे वो पिये या नहीं, इस दौरान वो जहां वो कुछ पेग से शुरुआत करता है वहीं आखरी वाले पायदान तक वो घर में रखे हर एक बोतल की हर एक बूंद तक पिये वाल बन जाता है और हर बार पीने के बाद कल से नहीं पियूँगा शराब बहुत खराब चीज़ है बोल कर सो जाता है और सुबह उठने के पश्चात जब उसकी अत्रियाँ जवाब देने लगतीं हैं और शरीर फड़फड़ाने लगता है तब आज से नहीं पियूँगा बोलकर वो अपने रोजमर्रा...

जिंदा लाश

मेरे शब्दों में इतनी शक्ति नहीं कि इनके दुःख को बयां कर सकूँ मेरी ऐसी हस्ती नहीं जो इनके दर्द की एक आवाज़ बन सकूँ कितना असहाय, मजबूर, बेबस हो जाता है इंसान काश मुझे मिल जाती ऐसी शक्ति जिससे इनकी पीड़ा हर सकूँ जब भगवान ने ही कर रखा है पक्षपात इनके साथ तो मैं इंसानी हुक्मरानों को से क्या अपेक्षा करूँ खून से लथपथ पैर रोते बिलखते बच्चे वे सब तो पहले से ही मरे हुए है जिंदा लाशों की दास्तान मैं आखिर कैसे बयां करूँ मजबूर मजदूर कह कह के पुकार रहें है सभी लोग इन्हें ये भी हमारी तरह इंसान ही हैं ये मैं किस- किस को और कैसे समझाऊं

शाहाबाद

आरा जिला में एक पुरानी कहावत है "आरा जिला घर बा तो कौन बात के डर बा" जितनी वहाँ की भाषा दबंग है तो वहीं भोजपुरी गानों में अलग रस भी है। 80's और 90 का दशक शाहाबाद जिला क्षेत्र के लिए बदलाव का दशक था, एक तरफ जहाँ कम्युनिस्ट ने पांव पसारने शुरू कर दिए थे जिसने नक्सल को जन्म दिया, जो बड़ी जाती वालों के लिए नासुड़ बन चुका था, जिसके कारण रणवीर सेना जैसे गुटों का जन्म हुआ, उस समय कई नरसंघार हुए जिसमे कई गांव के गांव तबाह हो गए, बड़े से बड़े रसूकदार मारे गए, कितने खेतों पे नक्सलाइट ने अपना लाल झंडा लगा दिया जिसके खिलाफ उस खेत में कोई खेती नहीं कर सकता था वहीं दूसरी तरफ 90 में बिहार में राजनीतिक परिवर्तन से सामाजिक दायरा बहुत कम हुआ जहाँ पहले कोई पिछड़ी जाति किसी फॉरवर्ड के सामने नहीं बैठ सकता था वहीं पिछड़ी जाति अपना आवाज़ उठाने लगा जिससे होने लगा सदियों से आ रहे सवर्ण जाती के शोषण का अंत जिससे आयी सामाजिक अस्थिरता, पिछड़े और सवर्णों में वर्चश्व की लड़ाई बढ़ती गयी, नए सरकार की विफलता ने बिहार को एक जंगल राज में तब्दील कर दिया। भोजपुर जिले में एक बहुत ही रसूकदार, वसूलों के पक्के व्यक्ति हुआ...

आदत पड़ जाती है

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https://youtu.be/ybmG_2UH2M8 Aadat धीरे- धीरे आदत पड़ ही जाती है ठीक उसी लड़की की तरह जिससे तुम्हे पहली बार प्यार हुआ था जिसने तुम्हे रिजेक्ट कर दिया था उस दर्द को सहन भी नहीं कर पाए थे और उस दर्द से राहत पाने के लिए ही ना तुमने पहली बार मुझे पकड़ा था जैसे प्यार में दर्द की आदत पड़ जाती है उसी तरह मेरी भी आदत पड़ जाती है धीरे- धीरे आदत पड़ ही जाती है। वो स्कूल में सिगरेट पीने वाले बंदे लड़कियों को बहुत कूल लगते थे ना तुम भी तो उन्हें कुछ ऐसा ही समझते थे  तभी तो उनका ग्रुप जॉइन किया  शो ऑफ  में पहला फूंक पिया हर drag में तुम्हें swag दिखता था ना सुट्टा मार कर खुद को dude समझते थे लेकिन तुम इतने स्मार्ट भी नहीं थे वरना पढ़ ना लेते ! जो हर पान की दुकान पे लिखा होता है 18 वर्ष से कम आयु वालों के लिए सिगरेट खरीदना अपराध होता है खैर जैसे दोस्तों की आदत पड़ जाती है उसी तरह सिगरेट की भी आदत पड़ जाती है धीरे- धीरे आदत पड़ ही जाती है। ज़िन्दगी के हर पड़ाव पर कोई ना कोई मिलता रहा जो तुम्हारे साथ सिगरेट शेयर करता रहा पैकेट पे पैकेट खरीदा लेकिन हर पैकेट पे जो लिखा होता है Smoking is in...

जिंदगी

निराशा से घिरा मन उदासी में ही रहना चाहे पल- पल हर पल अंधकार में ही जीना चाहे हो जाती है आदत खुद में ही अकेले रहने की जिंदगी से ज्यादा मौत ही अपना सा लागे

papa discription

Video by  Ketut Subiyanto  from  Pexels Video by  Avalon Royce  from  Pexels Video by  Anup Shrestha  from  Pexels Video by  Gustavo Fring  from  Pexels Video by  Sayan Malakar  from  Pexels Video by  David Dibert  from  Pexels Hello friends! This is my tribute to all super heroes, who are an ideal or role model to their children. Father is the person whom most of the children see as their role model. Children adopt many of characteristics from their father only. Father's are those characters of the story who are always undervalued, their personality hides behind the stature of the mother. They do many sacrifices but never tell anybody about these, they become harsh for the benefit of their child only. They are real unsung heroes who live their for their children. I dedicate this father's day 2020 special song to my father Late Chhathu Singh, who has been always an inspiration for me. Love you so...

शराब

दुनिया की सबसे अच्छी चीज़ शराब है जिसने पी ही नहीं वो कहते खराब है एक बार महखाने में जाकर तो देख ज़िन्दगी लगने लगेगी जैसे एक ख़्वाब है

new quotes

Want to make money Then first learn to loose money Jo karib the wo durr ho gaye Saath chalte chalte kho gaye Waqt ne aisi karwat lie Jigri yaar bhi paraye ho gaye Overcoming fear is the first step towards accomplishing your dream Love is not only blind, its deaf also Free falling objects surely bounce back whenever they hit the bottom It is the quality of the object which decides it's bouncity Saalon baad jab wo mujhse mili aur hans kar puchhi " abhi tak tum mujhe bhule nahin, main toa kab ka move on kar chuki hoon" Maine muskurakar usse kaha tere diye zakham ko kabhi maine sukhne hi naa diya, teri yaadon ko apni zindagi se jaane naa diya "मैं को हम में बदल देने पर अहम कम हो जाता है खुद की तारिफ करने से कोई नहीं अहम हो जाता है प्रत्यक्ष को प्रमाणता की नहीं होती जरूरत आग में रख दो तो मिट्टी- मिट्टी मोम- मोम हो जाता है" बिछड़े हुए प्रेमी नदी के दो किनारे हैं जो एक दूसरे को देख सकते है देख कर खुश भी हो सकते हैं लेकिन कभी मिल नहीं सकते अफ़सोस तो होता है घौसले के उजड़ ज...

नींद नहीं आती

पहले किसी की मोहब्बत में नींद नहीं आती  फिर रिन्दों की शोहबत में नींद नहीं आती जब तक ना चढ़े आंखों तलक मय  मुझे दोस्तों सुकून से रात में नींद नहीं आती

शराब न आदत

शराब तेरी उम्र तब तक ही है जब तक वो हमारे ना हो पाएंगे वो जिस दिन मिल जायेगा सारी बूरी आदतें छोड़ जाएंगे ढूंढता फिर रहा खुद को मैं जिस दिन वो मिलेगा खुद को पाएंगे रहने दे जो हुआ सो हुआ वो मिले उससे ज्यादा क्या चाहेंगे दिल को रखा है संभाल कर वो ना मिला तो किसी के ना हो पाएंगे वो है तो मै अब तलक ज़िंदा हूँ वो ना मिला तो हम मार जाएंगे।।

तेरा होकर

कभी भी तेरी बातें नहीं करता तेरा होकर भी तेरे होने का शुरुर है रहता

कारोबार

जिसकी हर शाम दोस्तों के साथ गुजरती थी, जिसके लिए दोस्त परिवार और रिश्तेदारों से भी ज्यादा मायने रखते थे, जो एक शाम में हज़ारों रुपये दोस्तों पे उड़ा देता था, उस वैभव को क्या पता था कि उसकी जिंदगी के बुरे दिन अभी आने बाकी हैं। वैभव अपनी अच्छी खासी वैश्विक कंपनी छोड़कर, खुद का ही कारोबार करने का सोंचता है और जितना भी धन इकठ्ठा कर रखा था वो सब लगा देता है। शुरुवात में उसकी ऑनलाइन कंपनी खूब चली और मुनाफा भी कमाया, लाखों के आवर्त से वो कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ता गया, इसी कामयाबी ने उसकी महत्वकांक्षाओं को बल दिया और सोंच को एक नया आयाम दिया। उसने अपनी कंपनी को शीर्ष पे ले जाने के लिए निवेशकों से पैसे लिए जिससे वो अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित करना चाहता था, उसने सारे पैसे उद्योग बनाने में लगा दिए और उसके कुछ दिनों बाद ही सरकार की नीतियाँ उस कार्य क्षेत्र के लिए बदल दी गईं। वैभव की तेज रफ्तार भागती ज़िन्दगी अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गयी, उसकी गाड़ी बस पलटती जा रही थी, वो मानो एक खाई में गिर रहा हो, बार-बार हाँथ देता की कोई उसे थाम ले, लेकिन ना कोई दोस्त आया न ही कोई रिश्तेदार, यहाँ तक कि घर वालों ने...

Dil

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तेरे बिना मेरा हाल तो सिर्फ बुरा है, वो मेरे हमदम मुझे पता है तुम कैसे जी रही हो बिन मेरे, मेरे सनम बहुत काट ली हिज्र में हम दोनों ने सिसकती रातें तू आजा जल्दी से पास मेरे, तुझे है अब मेरी कसम

Dard

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तुमसे बेहतर तो तेरा दर्द निकला हमसफर बन बैठा जब मेरे सीने से लगा उदासी के आगोश में मिला जो सुकून दुनिया छोड़ बस तेरी यादों का हो गया।

jaruratoan

Meri khwahishon ke par Tia hain Lekin jaruraton ke liye rengna padta hai

इबादत

तेरे लिखे खातों को हवा में उछाल दिया मिले तुझे अगर तो मेरे सलाम समझना गर इबादत की तालीम मुझे ना होती तो उसकी इबादत तेरे लिए ना करता

ghar ka pata de do

apne ghar ka pata de do, aapko dekhne aana hai, mizaz durust nahin rehata, thik hone ke liye-bas..... ek jhalak hie toa pana hai . kehte hai sabhi, ki mere chehre pe ab ronak nahin dikhti, koi marz nahin mil raha hai, hamari dawa toa bas....... aapka muskurana hai. koi khali kagaz hie sahi, hamari taraf uchhal dena, aapki khamoshi jitni hai gehri, usse zyaada likhne ko... mera afsana hai. apne ghar ka pata de do, aapko dekhne aana hai.

सूनी सड़क: लप्रेक

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याद है तुम्हे! वो बरसात का मौसम, उस हल्की हल्की बारिश में, कैसे हम कोजी मोमेंट की तलाश में, शहर से दूर छोटी पहाड़ी वाले रास्ते पे निकल पड़ते थे। शहर से दूर उस सुनी सड़क पे किसी जाने पहचाने का नहीं होना कितना सिक्योर फील कराता था हमें। कितना मुश्किल होता था हमारा अपने small town में खुल कर मिलना, हमेशा छुप छुपकर मिलना पड़ता था, लेकिन तुम उस सड़क पे बिना टेंशन मुझे पीछे से जोर से पकड़ लेती थी और मैं अपनी आर एक्स100 बाइक को बहुत धीरे कर तुम्हारे आलिंगन में सराबोर हो जाता था, एक दूसरे को आई लव यू! और आई लव यू टू! बोल कभी नहीं थकते थे। वो हमारी ज़िंदगी का ड्रीम राइड हुआ करता था। उसी सड़क की एक मोड़ पे वो चाय की टपरी, जिसकी चाय और वो मैग्गी आज भी याद आ जाती है , जब भी बारिश में चाय पीता हूँ, अकेले तुम्हारे बिना। उस सुनी सड़क को जरूर किसी आशिक़ ने ही बनाया होगा, जो खुद कभी किसी शहर की भीड़ से परेशान रहा होगा। sooni sadak vide o

तेरे दिए खत

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तेरे दिए खत और हमारी तस्वीरें यमुना में बहा आया काश....... तेरे दिए ज़ख्म और हमारी यादें भी विसर्जित कर पाता।

पुलवामा

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लहू के हर क़तरे को बदला चाहिए जवानों को बस एक मौका चाहिए हर भारतीय का रक्त उबल रहा है बहुत हो गया सहन करते हुए, अब दुश्मनों को मिटा देना चाहिए।

गुनहगार

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शमशान सी है ज़िन्दगी, ना जाने कितने अरमान, हर रोज़ खांक हो जाते हैं, ख्वाबों का पंख लगा जो उड़ा, वो पिंजरे का गुनहगार कहला जाते हैं।  

टूटा-टूटा वो छूटा-छूटा वो

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टूटा-टूटा वो छूटा-छूटा वो रिश्ता-रिश्ता वो रास्ता-रास्ता वो ये कैसा है दौर सब रहे हैं दौड़ मंज़िलों की ओर इंसानो की होड़।। टूटा -टूटा वो छूटा-छूटा वो रस्मे-रस्मे वो राहें-राहें वो ये कैसा है शहर लगता है डर जिंदगी जैसे हो ज़हर वक़्त जरा तू ठहर वक़्त जरा तू ठहर।। टूटा-टूटा वो छूटा-छूटा वो यारी-यारी वो गलियां-गलियां वो ये कैसा है बाग, नहीं उगते गुलाब जाने क्यों लगी है आग दिलों में ना हो कोई भाग दिलों में ना हो कोई भाग।। टूटा-टूटा वो छूटा-छूटा वो

मंजिल

मुसाफ़िर यूँही चलता रहा, ना ठहरा, ना रूका मंज़िल तू हि बता ना पास मैं आया, ना दूर तू गया।

लॉक डाउन : कोरोना

सब कुछ थमा ठहरा सा है समय भी थक कर रुक गया सा है वातावरण में जो घट गया है प्रदूषण दिखता नभ भी अब नीला- नीला सा है। जब भी मानव ने प्रकृति का शोषण किया प्रकृति ने अपने तरीकों से ऐतराज़ जताया कभी अधिक बारिश तो कभी सूखा कहीं भूकंप तो कहीं सुनामी तो कहीं बाढ़ जिससे हो जाते हैं कितने ही घर तबाह हाँ बात उन्ही घरों की है वो कंक्रीट की इमारतें वही कंक्रीट जो अब बिछा है उपजाऊ मिट्टी पे हाँ तो ये इंफ़्रा स्ट्रक्चर भी तो जरूरी है ना जिससे पता चलता है कि देश कितना समृद्ध है भले ही इनको बनाने में कितना भी प्रदूषण फैले हाँ बहुत जरूरी है ये प्रौद्योगिकीकरण वरना बताओ इतनी गर्मी में हम बिना एयरकंडिशनर के कैसे रहते बिना टेलेविज़न के कैसे समय व्यतीत करते ये जो मोबाइल की तरंगों से पंछी का जीना मुश्किल है वो क्या है हमारी मोबाइल की जरूरतों के सामने आखिर इस लॉक डाउन में यही तो सहारा है जिसकी पहले से ही इतनी आदत पड़ी थी कि सोशल डिस्टनसिंग रखने में कोई दिक्कत ही नहीं हुई वरना सोंचो जैसे हम पहले दोस्तों/रिश्तेदारों से मिलते थे अब भी वैसे की रिश्ते बनाये रखते तो आखिर इतने लंबे लॉक डाउन में हम घरों में कैद कैसे रह पात...

बंदर: लघुकथा

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अभिषेक को घुमाने शर्मा जी चिड़िया घर पहुंचे, तरह तरह के जानवरों को देखते हुए वो बंदरों के पिंजरे के पास पहुंचे, अभिषेक बंदरों को देखकर बहुत उत्साहित हुआ और ताली बजाने लगा, बहुत सारे लोग मूंगफली, केले पिंजरे के अंदर फेक रहे थे। शर्मा जी ने अभिषेक से कहा- बेटा हम जब बच्चे थे तो हमारे आंगन में एक अमरूद का पेड़ था वहाँ कभी-कभी बंदरों की टोली आया करती थी अमरूद खाने के लिए, मुझे उन्हें देखकर बहुत गुस्सा आता था उस समय, वो मेरे पसंदीदा अमरूद खा जाया करते थे, ये बोलते बोलते शर्मा जी बहुत उदास हो गएं और अतीत में कहीं खो गएं। अभिषेक ने उन्हें झंझोरते हुए कहा पापा-पापा क्या हुआ आपको? अब वे बंदर क्यों नहीं आते? शर्मा जी- बेटा अब बंदर कैसे आएंगे, अब ना कोई आंगन है, ना ही कोई पेड़ बचे हैं, फिर फल हो भी तो कैसे,  पेड़ अब इमारतों में तब्दील हो चुके हैं, जिसपे खुद को इंसान कहने वाले बंदर ही रहा करते हैं ठीक इस पिंजरे में कैद बंदरो के तरह।

गहरे ज़ख़्म

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गहरे ज़ख़्म भरूं कैसे, कैसे भुलाउं तेरी यादें, तेरी यादें जब भी आतीं हैं, बुझे राख भी हैं जल जाते। 

बगल वाली बुढ़िया

                    बगल वाली बुढ़िया  हर रोज़ की तरह मैं सुबह उठ कर अपने घर की बालकनी में रोड पे आते जाते लोगो को देख रहा था, हमारी गली छोटी सिकरी सी गली है जिसमें अनगिनत वाहन  जाया करते है। हमारा मोहल्ला बहुत बड़ा है नाम भी जो है दीवान मोहल्ला, पुराना पटना सिटी में गंगा घाट और अशोक राज पथ के बिच में, पुराने सिटी कोर्ट से शुरू होता है और जा कर कहीं चौक पे ख़तम होता है। बहुत ही घनी आबादी वाला मोहल्ला है साहब हमारा एक दूसरे से चिपके मकान जो सड़क पे अपने पैर पसारे हुए हैं। हिन्दू- मुस्लिम- सिख- इशाई सभी धर्मो के लोग यहाँ बड़े ही सौहादर्य  से रहते हैं, और यहीं हमारे पटना सिटी की शान है और यहाँ रहने का मज़्ज़ा दिलाती है। आज हलकी हलकी बारिश हो रही थी लोग अपने काम काज पे जा रहे थे और दिन की भांति हमरे पड़ोस में एक बुढ़िया जो की लगभग ७० साल की होगी वो मछली बेच रही थी , उनका घर हमारे घर से एक दम सटा हुआ है, उनके ४ पुत्र हैं , जिसमे से २ लड़के सबसे छोटा वाला और उससे बड़ा वाला उनके साथ रहते थे, सबसे बड़ा वाला इसी मोहल्ले म...

बदरा

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नित काली रात बदरा छुपके आये, भरल पानी लादे अहंकार का गरजाए, सावन भादो छुपाये अम्बर अपने पंख फैलाये, खोवत अस्तित्व ज्यूँ-ज्यूँ  बरसत जाए।

बियोस्कोप

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देखला! देखला! देखला! बॉयोस्कोप देखला, रंगबिरंगी दुनिया के हर सितारा देखला, देखला अमिताभ के त हेमा के गाल देखला, मिथुन के डांस देखला त धर्मेन्द्र के मार देखला। बहुत सारे लोगो ने ये चलता हुआ बॉयोस्कोप देखा होगा खास तौर से वो जो गांव में रह चुके हों, मुझे ज्यादा तो याद नहीं परंतु शायद 2-3 बार मैंने भी देखा होगा, जैसी कविता ऊपर लिखी है शायद वैसा ही कुछ चिल्ला कर बच्चों को बुलाया करते थे और कुछ इसी तरह सिनेमा दिखाया करते थे इस बॉयोस्कोप में, मेरा बचपन जहां गुज़रा है शायद उस मोहल्ले में ये ही आते हों खैर इतना याद नहीं लेकिन मेला घूमते हुए इनपे नज़र पड़ी, बॉयोस्कोप तो रख रखा था लेकिन शायद देखने को कुछ नहीं था उसमें, पहली बार तो मैंने भी नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ गया था लेकिन मुझे उत्सुकता हुई बॉयोस्कोप देखने की तो वापस मुड़ कर आया और चचा से बातें करने लगा बॉयोस्कोप के बारे में, उन्हों ने बताया के 1970 से वो ये काम कर रहे थे आज बदलते दौर में न फ़िल्म है देखने को और कोई आता भी नहीं बस वो किसी तरह इधर उधर से मांग कर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सन 2017 में तो दूर की बात है,90s में ही इसे देखने वाले काम थे ब...

राजतंत्र

देखो तो कितनी महंगाई है, एक नेता की कीमत 1 करोड़ लगाई है, सबसे विकसित राज्य में भी योजनाओं की बाढ़ आई है, 22 सालों में जो काम पूरा ना हुआ उसके लिए 5 साल की और दुहाई है, राजतंत्र का खेल ही भ्रष्ट है मित्रों, जो शहें'शाह' आया उसने ही मलाई खाई है।

कमबख्त दिल (Old Dairy 17.07.2004 )

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"अगर हो सकता तो निकाल कर फ़ेंक देता पर कम्बख्त दिल के बिना रह भी नहीं सकता" दूर कहीं तुम हो , पास तुम रहो  हर वक़्त तुम रहो  इस दिल की आरज़ू है....  जिऊँ मैं हरपल तेरे लिए , इस ज़िन्दगी की आरज़ू है।

Purani Dairy 17.07.2004

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हर वक़्त दिल से बस यही फर्याद निकलती है, जीवन भर तेरा मेरा साथ रहे, हर पल तू मेरे पास रहे, और बहुत हैं इस दिल की चाहतें, तुझ में मैं रहूं , मुझमें  तू रहे। 

कभी करीब कभी दूर (Old Dairy 15.07.2004)

कभी करीब , कभी दूर, इस वक़्त के फासले में है, लम्बी यादों की पुल, माना  वो भी याद करते होंगे हमें, पर ये दिल है की मानता नहीं, चाहे हरपल देखे, सुने उन्हें। 

इबादत (Old Diary 26.08.2004)

तेरी मीठी बातों को हमने सुन कर जाना, कोई कितना प्यार करता है, तेरी आंखों में हमने देख कर जाना, कोई कैसे दिल में उतरता है, तुझे प्यार करके हमने जाना, कोई क्यों किसी की इबादत करता है।

पैसा: दोहा

पैसे से प्रीत प्यारे, पैसे से ही बैर। प्रभास बिना पैसे के, कोई न पुछे खैर।।

जब कभी

जब कभी तेरी यादों से गुजरा करता हूँ, तब तभी रब से गुजारिश करता हूँ, तू रहे आबाद तुझे मिले सारी खुशियां, हर दिन तेरे लिए ही तो इबादत करता हूँ।

मेरा देश तेरा मुल्क

मेरा देश तेरा मुल्क हो गया सिंध से आते-आते भारत, हिन्द हो गया धर्म जब मज़हब बन जाये तो मेरा मंदिर तेरा मस्ज़िद हो गया।

दिल तू

सुकून छिनने वाले से ही पनाह मांगता है दिल तू कितना बेबस है उस बेवफा को आज भी अपना मानता है ख़ुदपरस्त वो तुझे कितना ठेंस पहुंचाता है दिल तू कितना बेगैरत है लात खा कर भी उसके सामने दुम हिलाता है

तेरा तसव्वुर

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तसव्वुर करने गया सर्द हवाओं के बीच, वहाँ भी तेरी ही गर्म सांसे याद आयीं ठेस लग गई थी छत पे जाते जाते तबभी तेरा दिया दर्द और तू ही याद आयी, बार-बार तेरी यादें मेरे दिल को छिला करती हैं, अच्छा खेल ये खेला करतीं हैं आँखों में तेरी तस्वीर दिखा पहले जिया देतीं हैं..फिर इसे मुआ देतीं है ऐसा नहीं कि तेरे तसव्वुर में सिर्फ दर्द ही याद आएं, तेरा मुझसे बेपनाह प्यार करना, मुझसे दूर रह कर तेरा रात भर रोना, आक़िबत की गोद में अफ़साने बुनना, सब याद है- तेरा मुझसे भी ज्यादा मुझे प्यार करना, बेरहम वक़्त ने ऐसी करवट ली, छूट गया हमारा मिलना, तू ब्याह के चली गयी अपने पापा के कहने पर, और मैं महीनों तेरे फ़ोन के इंतज़ार में तकता रहा एक बार तू बस बता तो देती साथ में मुझको खुदके साथ रुला तो लेती, खुद चालक बन तुझे तेरे ससुराल छोड़ आता, प्यार के रिश्ते को दोस्ती में बदल जाता.. इन सर्द हवाओं से ही तेरा हाल जानना चाहा है तुझसे अकेले में बात करनी थी ठिठुरती रात में छत पे लिखने का तो बस बहाना है तू किसी दिन कम से कम एक फ़ोन तो करना, तुझसे बातें करने के लिए 14 सालों का फसाना है।