बियोस्कोप

देखला! देखला! देखला! बॉयोस्कोप देखला,
रंगबिरंगी दुनिया के हर सितारा देखला,
देखला अमिताभ के त हेमा के गाल देखला,
मिथुन के डांस देखला त धर्मेन्द्र के मार देखला।

बहुत सारे लोगो ने ये चलता हुआ बॉयोस्कोप देखा होगा खास तौर से वो जो गांव में रह चुके हों, मुझे ज्यादा तो याद नहीं परंतु शायद 2-3 बार मैंने भी देखा होगा, जैसी कविता ऊपर लिखी है शायद वैसा ही कुछ चिल्ला कर बच्चों को बुलाया करते थे और कुछ इसी तरह सिनेमा दिखाया करते थे इस बॉयोस्कोप में, मेरा बचपन जहां गुज़रा है शायद उस मोहल्ले में ये ही आते हों खैर इतना याद नहीं लेकिन मेला घूमते हुए इनपे नज़र पड़ी, बॉयोस्कोप तो रख रखा था लेकिन शायद देखने को कुछ नहीं था उसमें, पहली बार तो मैंने भी नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ गया था लेकिन मुझे उत्सुकता हुई बॉयोस्कोप देखने की तो वापस मुड़ कर आया और चचा से बातें करने लगा बॉयोस्कोप के बारे में, उन्हों ने बताया के 1970 से वो ये काम कर रहे थे आज बदलते दौर में न फ़िल्म है देखने को और कोई आता भी नहीं बस वो किसी तरह इधर उधर से मांग कर जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सन 2017 में तो दूर की बात है,90s में ही इसे देखने वाले काम थे बस मेले में शौखिया देखा जाया करता था।
बहरहाल यहाँ ये पोस्ट डालने का मकसद बस इतना ही है कि इससे जुड़ी आपकी यादें थोड़ी ताज़ा हो जाएं, बॉयोस्कोप से जुड़ी कुछ यादें आपकी भी हैं तो शेयर कर सकते है।

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