थोड़ा पी लेता हूँ video no. 6
सच मैं बोलता रहा शराब बदनाम होती रही
जितना समझना चाहा ज़िन्दगी तमाम होती रही।
अकेले में कभी-कभी रो लेता हूँ
तुझसे बहुत परेशान हूँ ज़िन्दगी
फिरभी हँस के तुझे ढो लेता हूँ
मेरी फरमाइश तो बहुत है
पर हर बाज़ार में मैं बिकता नहीं हूँ
दर्द के अफसानों में अब तो
हँसने की आदत सी पड़ गयी है
अब दिल तड़पता भी है तो
बेखुद मैं हँसता बहुत हूँ
थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ।
सपनों को टूटते देखने की आदत सी पड़ गयी है
लेकिन हकीकत से रूबरू होता हूँ
तो मैं पिघलता बहुत हूँ
सिगरेट के धुंए से ये दिल जलता बहुत है
ख़ाक हो रहे अरमानों के धुएं में
मैं घुटता बहुत हूँ
थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ
कहते है लोग की आईना सच बोलता है
पर टूटे हुए आईने में मैं आखिर क्या देखूँ
किसी से प्यार से बात करो तो गलत समझते है
लोगों की उलटी बातें मैं समझता बहुत हूँ
आखिर कैसे समझाऊँ मैं इस दिल को
खुद से बातें कर खुद को बहलाता बहुत हूँ
थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ
ये ज़िन्दगी पंचतंत्र की कहानियाँ नहीं हैं
फिरभी इसे आधार बना
बेवकूफ़ मैं लड़ता बहुत हूँ
थक गया हूँ मैं इस ज़द्दोज़हत से
पागल हूँ मैं दोस्तों
शायद सोंचता बहुत हूँ
थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ
अकेले में कभी-कभी रो लेता हूँ।।
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