सूनी सड़क: लप्रेक
याद है तुम्हे! वो बरसात का मौसम, उस हल्की हल्की बारिश में, कैसे हम कोजी मोमेंट की तलाश में, शहर से दूर छोटी पहाड़ी वाले रास्ते पे निकल पड़ते थे। शहर से दूर उस सुनी सड़क पे किसी जाने पहचाने का नहीं होना कितना सिक्योर फील कराता था हमें। कितना मुश्किल होता था हमारा अपने small town में खुल कर मिलना, हमेशा छुप छुपकर मिलना पड़ता था, लेकिन तुम उस सड़क पे बिना टेंशन मुझे पीछे से जोर से पकड़ लेती थी और मैं अपनी आर एक्स100 बाइक को बहुत धीरे कर तुम्हारे आलिंगन में सराबोर हो जाता था, एक दूसरे को आई लव यू! और आई लव यू टू! बोल कभी नहीं थकते थे। वो हमारी ज़िंदगी का ड्रीम राइड हुआ करता था। उसी सड़क की एक मोड़ पे वो चाय की टपरी, जिसकी चाय और वो मैग्गी आज भी याद आ जाती है , जब भी बारिश में चाय पीता हूँ, अकेले तुम्हारे बिना। उस सुनी सड़क को जरूर किसी आशिक़ ने ही बनाया होगा, जो खुद कभी किसी शहर की भीड़ से परेशान रहा होगा।
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