टूटा-टूटा वो छूटा-छूटा वो
टूटा-टूटा वो
छूटा-छूटा वो
रिश्ता-रिश्ता वो
रास्ता-रास्ता वो
ये कैसा है दौर
सब रहे हैं दौड़
मंज़िलों की ओर
इंसानो की होड़।।
टूटा -टूटा वो
छूटा-छूटा वो
रस्मे-रस्मे वो
राहें-राहें वो
ये कैसा है शहर
लगता है डर
जिंदगी जैसे हो ज़हर
वक़्त जरा तू ठहर
वक़्त जरा तू ठहर।।
टूटा-टूटा वो
छूटा-छूटा वो
यारी-यारी वो
गलियां-गलियां वो
ये कैसा है बाग,
नहीं उगते गुलाब
जाने क्यों लगी है आग
दिलों में ना हो कोई भाग
दिलों में ना हो कोई भाग।।
टूटा-टूटा वो
छूटा-छूटा वो
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