याद आता है new
वो गाँव की गलियां याद आतीं हैं,
घर की चौखट हर रोज़ बुलातीं हैं,
हैं इतनी मज़बूरियां की अपनो से दूर हैं,
वरना ये पाँव तो घर ही जाना चाहतीं हैं,
वो माँ का थप्पी देकर सुलाना याद आता है
उनका प्यार से बेटू बुलाना याद आता है
पीछे पीछे भाग कर वो खाना खिलाती थी
उसका गुस्से से कान ऐठना याद आता है।
वो पापा का साईकल सीखना
शाम में बाजार घुमाना याद आता है,
स्कूल जाते वक़्त पैसे थमा देना
प्यार से गाल दबाना याद आता है।
वो भईया के साथ खेलना
कदमों के पीछे चलना याद आता है,
कई- कई दिनों तक बातें नहीं करना
रूठना मनाना याद आता है।
वो दोस्तों के साथ घूमना
चाय के साथ बातें घुमाना याद आता है
जिस चौराहे पे बिछड़ गए थे
वो चौराहा पुराना याद आता है
इस धूल भरे महानगर में घर का हर फूल पत्ता याद आता है
निकल आएं इतने दूर के हर राह पे घर का पता याद आता है।
सपनों के शहर में अपने छूट गएं, निकले थे कहीं और कहीं पहुँच गएं
मंज़िलों के सफ़र में हर खोया हुआ रास्ता याद आता है।
हर रास्ते पे भटकना याद आता है.....
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