गुनहगार

शमशान सी है ज़िन्दगी,

ना जाने कितने अरमान,

हर रोज़ खांक हो जाते हैं,

ख्वाबों का पंख लगा जो उड़ा,

वो पिंजरे का गुनहगार कहला जाते हैं।

 

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