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Showing posts from June, 2025

Vikash ki talash (विकास की तलाश)

वो कौन है जिसकी सबको है तलाश जिसपे टिकी है हर भारतवासी की आस, बहुत उम्मीदों से दिया था सबने वोट लाइन में लगकर सबने बदले हैं नोट इतना तो देश के लिए करना बनता है आखिर मंदिर में भी तो खड़े रहने पड़ता है रेलवे का किराया भी है  भैया justified नहीं तो फिर क्यों करते हो ola mein Ride Petrol desiel पे मत दो कोई advice भले गिर रहा हो विदेशी barrel ka price बलिदान तो देना होगा सभी को मित्रों तभी तो करेगा new इंडिया rise चोरी करते व्यापारियों पे थोपा जो GST तिलमिला गएं जैसे हो कोई tragedy सैकड़ों फैक्टरियां बंद हुईं लाखो हुए बेरोज़गार बस एक बार और मौका दे दो आएगा वो जिसका है सबको इंतेज़ार, युवा देश के युवाओं को है नौकरी की कमी कैसे बताएं उन्हें की गिर रहा है economy कर्ज़ में डूबी है हर किसान की लाश हो रहा है सबका मुवाब्ज़ा paas, Busy है इन सभी में अपना विकास जिसकी है हर देश वासी को तलाश वो कौन है जिसकी सबको है तलाश जिसपे टिकी हर भारतवासी की आस।। ~Prabhas

हाशिये पे ज़िन्दगी: लघुकथा

सिन्हा जी और उनकी पत्नी ता उम्र लोगो से ताना सुनते रहे कि वो दोनों बहुत ही कंजूस हैं, दो जोड़ी कपड़े उनके लिए पर्याप्त हुआ करते थे, बैंक में सरकारी नौकरी करने के बावजूद अभी तक उन...

बुढ़ी और गाय

हर रोज़ की तरह मैं सुबह उठ कर अपने घर की बालकनी में सड़क पे आते जाते लोगो को देख रहा था, हमारी गली छोटी सिकरी सी गली है जिसमें अनगिनत वाहनों का परिचालन होता है। आज हलकी हलकी बारिश हो रही थी, लोग अपने काम काज पे जा रहे थे और दिन की भांति हमारे पड़ोस में एक बुढ़ि माता जो की लगभग ७० साल की होगी वो मछली बेच रही थी , उनका घर हमारे घर से एक दम सटा हुआ है, उनके ४ पुत्र हैं , जिसमे से २ लड़के सबसे छोटा वाला और उससे बड़ा वाला उनके साथ रहते है, सबसे बड़ा वाला इसी मोहल्ले में कहीं और अपना माकन बना कर रहता है और उससे छोटा कुछ वर्ष पूर्व किसी दुर्घटना में चल बसा था। वो जीवन के हर कर्त्तव्य निभा चुकी थी सभी बच्चो की शादियाँ भी कर चुकी थी, बुढ़िया अपना जीवन सुबह सुबह मछली बेच कर गुजारती थी, उसके साथ जो उसके दो बच्चे रहते थे उनके पास रोज़गार नहीं था, अलग अलग नौकरी के लिए फॉर्म भरते थे। आते जाते लोग उससे पसंद करते और उसके बुढ़ापे पे चुटकी लेते हुए मज़ाक भी करते रहते थे, वो इस मोहल्ले में बहुत सालों से जो रहा करती थी, लेकिन ये दिन उसका आखरी दिन था और उसका देहांत हो गया। छोटा बेटा जो उसके साथ रहता था वो जो...

जिजीविषा: लघुकथा

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एकता प्यार में धोखा खाने के बाद बहुत ही निराश थी, उसको अपने शरीर से घृणा होने लगी थी, और हो भी क्यों नहीं आखिर जिसे वो अपना जीवन साथी समझती थी वो उसके जिस्म को इस्तेमाल करके उसे छोड़ चुका था। अब उसे लगता था कि प्यार के जाल में फंसा कर रमेश ने उसका बहुत नाजायज़ इस्तेमाल किया। अब वो अपने पिताजी, माँ, भाई को कैसे मुह दिखाती, उसकी जिजीविषा नष्ट हो चुकी थी, जीवन का मोल नहीं रहा उसके लिए और अंततः उसने आत्महत्या करने का फैसला किया और वो पंखे से लटक गई। लेकिन इस ज़िन्दगी की डोर तो उस ऊपर वाले के हाथ में है जो जीवन प्रदान करता है, समय पर उसकी छात्रावास की लड़कियों ने उसे अस्पताल पहुंचा कर बचा लिया। उसकी बगल वाली बेड पर एक और लड़की ज़िन्दगी के लिए संघर्ष कर रही थी जो हर हाल में जिंदा रहना चाहती थी, उनकी कौनसी सांस आखरी हो पता नहीं। एकता ने नर्स से उस दूसरी लड़की के बारे में पूछा तो उसके आंखों से खुद ब खुद आँसू बहने लगें, वो निर्भया थी जिसको बहुत ही निर्दयता से बलात्कार किया गया था, फिर भी उसकी जिजीविषा जीवन के लिये प्रेरणा दायक थी, एकता अपनी आत्महत्या के निर्णय पे पछता रही थी और वो फुट फु...

Sweetu (स्वीटू)

माना कि तुमने मुझसे प्यार सीख कर मुझसे ही प्यार करना छोड़ दिया, लेकिन ये मैं कैसे मानूँ की कोई और मुझ जैसा प्यार करना सीख गया जैसे मैं तुमसे बातें किया करता था sweetu, ठीक वैसी ही बातें तुम उससे करती हो ना, प्यारी मीठी सी गुदगुदी वाली शरारती बातें, और बताओ और बताओ कह कह कर खिंचने वाली लंबी बातें, दूर होते हुए भी एक दूसरे के आगोश में रात बिता देने वाली बातें हाँ पढ़ा था...... चोरी से मैने तुम्हारा chat उसके साथ उस ID को मैने ही तो बनाया था हमारे लिए, Password तो कम से कम बदल लेती, जिससे नहीं पढ़ पाता.... अब जो ये बातें मेरे दिल में नासूर बन गईं है इनको कैसे निकलूं sweetu कैसे भुलाऊं, पता है Sweetu इन सबको भुलाने के लिए खूब पीने लगा हूँ मैं, अकेले में खुद से बातें करते हुए पीता हूँ तो महफिलों में तुम्हारी बातें करते हुए, बुलाना तो छोड़ो अब तो कितनो ने मेरे पास आने ही छोड़ दिया पता है मुझे वो सभी मेरे पीछे मेरा मज़ाक उड़ाते हैं फिर भी तेरी कहानी सुना मुझे सुकून मिलता है sweetu लेकिन बीच रात जब मेरी नींद टूट जाती है तब मैं और ज्यादा छटपटा जाता हूँ ऐसा लगता है जैसे को...

गंगोत्री से निकली गंगा book64

गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में कितने ही गांव बसे इसकी पावन राह में कितनी सभ्यताएं पली इसकी उर्वरक बांह में गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में कितनी ही नदियाँ मिली इसकी अविरल धार में झुकी यमुना और कोसी इसकी अलौकिक शान में गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में कितने ही घाट बने इसको पाने की चाह में प्रशिद्ध हुए हरिद्वार व काशी इसकी सेवा सत्कार में गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में कितने ही जीव जंतु पनपे इसके शुद्ध जल संसार में जीते डॉलफिन और घड़ियाल इसके विशाल गहरे पन में गंगोत्री से निकली गंगा जाकर गिरी बंगाल में।

गंगा 2 book65

चाँदी सी चमकती वो भागीरथी बन कर निकली प्रयागराज में मिली अलखनंदा से तो गंगा बन बह चली। पहाड़ों में वो घूमती फिरती छोटी बच्ची सी इठलाया करती जैसे किसी गली में खेलते है बच्चे वो खाड़ियों में रुनझुम खेला करती। गंगा वादियों से निकल कर ऋषिकेश में अलग ही नज़र है आती हरिद्वार में खूब तेज बहती भीड़ में थोड़ी घबराई हुई सी लगती। अविरल बहती चंचल चमकती गंगा कितनी सुहानी है दिखती लेकिन हो जाती है गंदी मैली ज्यूँ- ज्यूँ वो शहरों से गुजरती। जहाँ- जहाँ से वो है गुजरती धरा को उर्वरक करती जाती निःस्वार्थ एक माँ के जैसी वो सबका पालन पोषण है करती।

हर हर गंगे 2

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कभी देखा है माँ गंगे के चरणों में पड़ी हुई आस्था से उत्पन्न व्यर्थ वस्तुओं को, जिन्हें हम कभी पूजते थे उन खंडित मूर्तियों को, या इबादत में लिपटी हुई उस डर रूपी आस्था को, क्या वो मात्र जल को दूषित करने वाली वस्तुएँ है नहीं बल्कि छाप छोड़ती असभ्यता की निशानियाँ हैं, कितनी अलौकिक कहानी है पुरानी उनकी, भागीरथ के कठोर तपस्या से, निकली ब्रह्म लोक से, खुद के वेग से बहा दे सकती थी धरती को तभी प्रकट हुए वहाँ जटाधारी, बाँधा अपनी जटाओं से तो शान्त हुई गंगा मइया प्यारी, निर्मल, अविरल, स्वच्छ और सुंदर पापो तक को धो देने वाली सदियों से गंगा पापहरनी जीवन दायनी बनी रही, कितनो के पाप धोये तो कितनो का भला है किया, सड़ा गला मैला ना जाने क्या क्या बहा ले गयी, और हमने माँ कहके भी उनका भला नहीं किया। कारखानो से निकली गंदगी गंगा को गंदा करती गयी, बांधों से ना जाने कितनी सहमी सिकुड़ी सी रही घर घर से निकले नाले हम उसमे ही बहाते गए और हर हर गंगे कहते हुए उसमे ही नहाते गए । अब तो उनका प्रवाह भी मंद हो गया कोख में जमा गाद ट्यूमर सा दिखने लगा असीम दर्द से कराहने लगी हैं माँ गंगे उनका दम भी प्...

हर हर गंगे

कभी देखा है माँ गंगे के चरणों में पड़ी हुई, पूजा से उत्तपन  व्यर्थ वस्तुओं को, जिन्हें हम कभी पूजते थे उन् खंडित मूर्तियों को , या इबादत में लिपटी हुई उस डर रूपी आस्था को, क्या वो मात्र जल को दूषित करने वाले वस्तुएं हैं, नहीं बल्कि छाप छोड़ती अशभ्यता की लक़ीडें हैं I  इतनी अलोकिक कहानी है पुरानी हमारी, भगीरथ के कठोर तपस्या से, निकली ब्रह्मलोक से, क्रोध से अपने बहा देती धरती को, तभी हुए प्रकट जटाधारी, बाँधा अपनी जटाओं से, तो शांत हुईं गंगा मैया प्यारी। सदियों से सृजन है किया, कितनो के पाप धोये तो,  कितनो को मुक्त है किया, सड़ा, गाला, मैला ना जाने क्या क्या बहा ले गयीं, और हमने माँ कह कर भी उनका न सोंचा न भला किया। लिखा है की कलियुग के अंत में, गंगा हो जाएंगी विलीन, वो दिन जल्द ना आ जाए, इससे पहले स्टार्ट करो CLEANING. कभी देखा है माँ गंगे के चरणों में पड़ी हुई, पूजा से उत्तपन  व्यर्थ वस्तुओं को, जिन्हें हम कभी पूजते थे उन् खंडित मूर्तियों को , या इबादत में लिपटी हुई उस डर रूपी आस्था को, क्या वो मात्र जल को दूषित करने वाले वस्तुएं...

ईश्वर

आपको चाहते सब हैं यहाँ बेपनाह पर जल्दी कोई मिलना नहीं चाहता अद्भुत मायानगरी रचाई है आपने सब रहते है दुखी, सुख को भूल कर फिरभी कोई यहाँ मरना नहीं चाहता सब आये हैं यहाँ आपकी चाह में लेकिन माया के मोह से कोई निकल नहीं पाता ईश्वर आपकी इबादत करता है हर कोई लेकिन ज़िन्दगी के जद्दोजहत में फंस कर है रह जाता।

आओ खेलें मोबाइल में होली

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आओ खेलें मोबाइल में होली रंगों से भर दें apps की टोली कौनसा रंग लगाऊँ सखी जो तुम्हारे मन को भाय, Facebook का नीला रंग या whatsapp का हरा हो जाए जोगीरा सारा रा रा रा र कौनसा रंग लगाऊँ सखी जो तुम्हारे मन को भाय Instagram का purple shade या google का multicolor हो जाए जोगीरा सारा रा रा रा रा र कौनसा रंग लगाऊँ सखी जो तुम्हारे मन को भाय Twitter का आसमानी रंग या tiktok का काला रंग हो जाए जोगीरा सारा रा रा रा रा र कौनसा रंग लगाऊँ सखी जो तुम्हारे मन को भाय Amazon पे करा दूँ shopping Paytm से सब payment हो जाए जोगीरा सा रा रा रा र Internet के रंग में घोल कर Message की पिचकारी से बरसा रहा हूँ रंगों की बौछार सबको मुबारक़ होली का त्योहार।।

ढोंग बंद करो!!!

ढोंग बंद करो की पोल खुल गया है, पोल का वादा जुमलो में बदल गया है, भक्तों के चढ़ावे पे इतना घमंड ना कर, घमंड का घडा अब भर गया है। हर-हर, घर-घर से अब थरथराइएं हैं राम नाम से भी आराम अब ना पाएं हैं घूंट-घूंट कर जी रहें हैं सभी भाई-भाई थे जो कभी, आमने-सामने आयें हैं। नोटेबंदी से बनाना था देश को cashless, कैशलेस के चक्कर में हो गए लोग jobless, gst से फटा ऐसा है बिल, Fuel की कीमतों से गया है दिल भी हिल। काला धन कहीं स्वच्छ भारत में साफ़ हो गया है , जन धन में धन धना धन लाइफ हो गया है, इससे अच्छे दिन और क्या चाहिए दोस्तों, ट्रेन और प्लेन का किराया एक समान हो गया है। बंट रहा है फ्री गैस फिरभी किसान रो रहा है, खाने को खाना नहीं फिरभी शौचालय बन रहा है, एक मन की बात है बताना मित्रों, 56 इंच का सीना है फिरभी विकास नहीं हो रहा है। जुमलेबाज़ी का पिटारा वो है विदेश भ्रमण करने वाला भँवरा वो है फेकना था जितना फेकू फेंक गए जनता है जनार्दन सब जानती वो है।

डीपी लगा दे उसके साथ

दिल को तो बस बहकने का बहाना चाहिए, आशिकों को अश्क़ छुपाने को मयखाना चाहिए, तू बस एक डीपी(DP) लगा दे उसके साथ, मुझे आज फिर पीने का बहाना चाहिए.... फेसबुक पे तेरी तस्वीर देखके दिल आज भी धड़कता है व्हाट्सएप्प पे तेरी डीपी देखके तुझेमे खो जाता है मेसेंजर पे तू बात करे ना करे.. जीमेल के पुराने चैट पढ़ दिल खुद को बहला लेेेत है इंस्टा पे तेरी अदायगी आज भी खूब भाती है तू आज भी क्या खूब मुस्कुराती है तेरे बच्चों के साथ तेरी फ़ोटो देख मामा मामा की आवाज़ कानो में सुनाई दे जाती है तू अच्छे से जी रही है जिंदगी ये देख अच्छा लगता है तेरे लिए ये 'प्रभास' आज भी सजदा करता है भले ही जी रहे हैं हम अलग-अलग तुझमें मैं और मुझमें तू आज भी बसता है।

मुक्तक बारिश

तुम होती तो बारिश में भींग भी लेता तेरी बाहों में बाहें डाल झूम भी लेता भीगी हुई तुम क्या क़यामत लगती तेरे बदन को इसी बहाने चुम भी लेता

कैद सपने: लघुकथा

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दिल है छोटा सा छोटी सी आशा, मस्ती भरे मन की भोली सी आशा, हम्ममम्ममम्ममम्ममम्म ये गाना गुनगुनाते हुए संगीता सुबह-सुबह अपनी बेटी के लिए नाश्ते में पराठा और आलू भुजिया बना रही थी, फिर वो अपनी 5 साल की बेटी को विद्यालय जाने के लिए उठाने लगी, उठो अनन्या जल्दी उठो , स्कूल वैन कभी भी आ जायेगा, अनन्या-नहीं मम्मी थोड़ा सो लेने दो ना एक मिनट और, ये बोलकर वो फिर सो गई अनन्या को उठाने की आवाज़ सुनकर उसका बेटा ईशान उठ गया और रोने लगा संगीता (प्रसन्ता की मुद्रा में) अरे मेरा बाबू उठ गया, अभी बहुत सुबह है बेटा अभी और सो जा बाद में उठना, सुन कर ईशान फिर सो गया। तभी स्कूल वैन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई पड़ी और संगीता ने झटपट अनन्या को तैयार करा स्कूल भेज दिया। अब बारी थी उसके पति की जो कब से इंतेज़ार में था कि कब अन्याय विद्यालय जाए और उन्हें चाय पीने का मौका मिले, फिर त्यार होकर समय रहते वो अपने कार्यालय के लिए प्रस्थान करे, संगीता ने ही बहुत फुर्ती से अपने पति के लिए नाश्ता बना लिया और जल्दी से एक जोड़ी कपड़े भी इस्त्री कर दिए, अब वो इन कामों में पारंगत हो चुकी थी, उसके बायें हाथ का काम था,  उसके बाद ...

सावन

सावन में बदरा छेड़े मन के तार, विरह में तड़पे बहुरि गंगा के पार, बरखा में भींग छुपाये अपने अश्रु, मन करे सजना से मिले करे प्यार।

कैसा लगता है

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तू आज भी मेरे profile पे रुक जाती है ना, पढ़ती है ना शायरी मेरे wall पे, कभी किसी दिन comment कर बात ही देती, कैसा लगता है तुझे पढ़ना तेरे ही दिये दर्द में बारे में।

कभी पीती हुई

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पीने का तुझसे अच्छा बहाना ना मिला मिलें बहुत बेगाने कोई अपना ना मिला जहाँ मिल जाती तू भी कभी पीती हुई वो आज तक कहीं मयखाना ना मिला।

इश्क़ और अश्क़

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इश्क़ और अश्क़ के बीच बस आ का फासला होता है, इश्क़ का आगाज और अंजाम बस अश्क़ ही होता है दिल मेरा तेरे इश्क़ में टूटा तो अश्क़ बहने लगें लो चला अब मैं तेरे बिना ही ज़िन्दगी गुजारने, हो सके तो तू मुझे कभी कहीं ना मिलना, तुझे भुलाने में सालों साल हैं लग जाते। तुझे भुलाने में सालों साल हैं लग जाते।। अचानक तेरा मुझसे मिलना उस दिन सारे खत मंगा लेना, मुझपे ऐतेबार क्यों ना रहा तेरा, तेरी आँखों का यूँ फरेब कर जाना, ये दिल समझ रहा था कि कुछ तो कमी है तेरी आँखों में देखी एक सूखी सी नमी है लेकिन तेरे होंठों का झूठा मुस्कुराना मेरे सवालों को अपनी बातों में उलझाना तेरा जल्दी जाने का बहाना वो तेरा आखरी बार पलट कर देखना धड़कनो का खुद ब खुद बढ़ जाना आंखों में आँसुओं का लबलाबा जाना सारी कहानियों का फिर से गुजर जाना बता चुका था कि है ये आखिरी दिन का मिलना बता चुका था कि है ये आखरी दिन का मिलना गहरे जख्म भरूँ कैसे कैसे भुलाऊँ तेरी यादें, तेरी यादें जब भी आतीं हैं खुद ब खुद आँसू छलक हैं जाते बुझे राख भी हैं जल जाते तुझे भुलाने में सालों साल हैं लग जाते तुझे भुलाने में सालों साल हैं ल...

तू

मुस्कराहटों की चादर ओढ़ क्या छुपा रहा है तू, खुश नहीं फिरभी हँसके क्या जाता रहा है तू, दूख की क्या बिसात धैर्य के सामने, बस परिश्रम करता जा पायेगा सब कुछ तू ।।

थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ

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थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ अकेले में कभी-कभी रो लेता हूँ अच्छा है किसी के अंदर अब मुझे प्यार नहीं दिखता क्योंकि प्यार में तो वैसे भी किसी को कुछ नहीं है दिखता थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। मेरी फरमाइश तो बहुत है पर हर बाज़ार में मैं बिकता नहीं हूँ दर्द के अफसानों में अब तो हसने की आदत सी पड गयी है अब दिल तड़पता भी है तो बेखुद मैं हँसता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। सपनो को टूटते देखने की आदत सी पड़ गयी है लेकिन हकीकत से रूबरू होता हूँ तो मैं पिघलता बहुत हूँ सिगरेट के धुंए से ये दिल जलता बहुत है ख़ाक हो रहे अरमानों के धुएं में मैं घुटता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। कहते है लोग की आईना सच बोलता है पर टूटे हुए आईने में मैं आखिर क्या देखूँ किसी से प्यार से बात करो तो गलत समझते है लोगो की उल्टी बातें मैं समझता बहुत हूँ आखिर कैसे समझाऊँ मैं इस दिल को खुद से बातें कर खुद को बहलाता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। ये ज़िन्दगी पंचतंत्र की कहानियाँ नहीं हैं फिरभी इसे आधार बना बेवकूफ़ मैं लड़ता बहुत हूँ थक गया हूँ मैं इस ज़द्दोज़हत ...

काश

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काश के ये समय ठहर जाता मुद्तो बाद वो नज़र आएं जीने का सबब तो भूल बैठे थे अब जिंदा होने का यक़ीं है आया बरसो के बिछड़े मिले कुछ पल के लिए जुदा फिरसे तो होना ही था फिर ये मिलना कैसा मिलना था जो फिर उदासी के आगोश में घिर गया।

बराबरी की संगति: लघुकथा

संभव बचपन से ही होनहार विद्यार्थी रहा, उसकी पढ़ाई में ज्यादा अभिरुचि रहती थी वनिस्पद खेल-कूद के, वो सीधा साधा माता पिता की आज्ञा मानने वाला सुकुमार था। उसके माता पिता गांव से थे और वो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, पिता जी पवन प्रसाद इंटर पास थे और माता माया देवी सिर्फ पांचवी तक पढ़ी हुई थी लेकिन संभव के पिता को पढ़ाई की अहमियत पता थी क्योंकि उन्होंने गरीब घर से होने के बावजूद किसी तरह लिपिक की नौकरी प्राप्त कर ली थी सिर्फ अपने इंटर की डिग्री के बदौलत। वो अपने बेटे को हमेशा पढ़ाई का ज्ञान देते और सही संगति वाले दोस्तों के साथ रहने की बात बताते, आखिर अपने कार्यालय के बड़े अधिकारियों को देखकर उनका भी मन करता कि उनका बेटा एक बड़ा अधिकारी बने और समाज में उनका नाम हो, पूरी ज़िंदगी प्रसाद जी ने बस दो जोड़ी कपड़ों में निकाल दी सिर्फ अपने तीनो बच्चों को पढ़ाने के लिये जिसमे संभव सबसे बड़ा बेटा था। बड़े बेटे से सभी पिताओं की बड़ी उम्मीदें ज्यादा जुड़ी होतीं हैं, वो संभव को डॉक्टर बनाना चाहते थे और उसकी पढ़ाई के लिए बहुत पैसा खर्च करते थे चाहे वो विद्यालय हो या अच्छे से अच्छे कोचिंग में पढ़ाना, उसके आने जाने के लिये ...

camera

WO reel wala camera,  market ka studio, Black n white ka bachpan  abb mega pixel pachpan, Kitne yaadon ko samete dekho hai ye photo, Le Selfie te groupie Sab shoot hota auto....

Short shyaari 2

मुझे बाधना इतना अासान नहीं, तुम्हारी हसरतें, मेरे हौसलों से बड़ी नहीं।

विचार

मैं शब्द नहीं विचार हूँ,  हर तर्क का आधार हूँ, किसी के लिए अभिमान हूँ तो,  किसी के लिए अंहकार हूँ। मैं तो एक टूटता तारा,  मुझसे कोई खवाहिश ना रखना, पल में ओझल हो जाउनगा, कोई शिकायत ना करना।

short shayari 1

रात भर सोया नहीं,  या जल्दी जग गया हूँ। ये राज उन्हें भी नहीं है मालूम,  जो हम बिस्तर थे।

My Wings

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My wings are broken but I want to fly, This is the time to sharpen my knife, Here I go with all my highs, So stay away dear, it’s my hurricane ride. Tears were vapor so I ignite, Day by day targeting the tides, Every day I use to die but like the phoenix, I always survive.

Destiny is driving me to death

Destiny is driving me to death, success comes when failure is fucked by fate, and my fate is impotent, thats why i use to fail, giving my all efforts, leaving my all support, i decided to fight agian to change this bullshit destiny...... destiny is driving me to death..... empty bottles r reminding  that some day this room is full of smoke and ashes,  every thing is empty and i'm very thirsty,  the only way to have it is to fill it. for u i sacrificed everry thing, i roam every where, upside and down leaving my dreams burning all my lamps, to get u, to have u, u mean every thing to me u fucking destiny, i gonna change u, mould u in my own way, destiny is driving me to death. surely i'll get those things which r not with me  because i'm still following my dreams,  dreams keep me moving ahead,  i'm not going 2 give up never ever.  here i'm regaining again for a change again................. discovering destiny to design in my own way of delusion to descr...

O re baawre mann

o re baawre mann, mat chah aise ke khud ko bhul jaye, aankho ki nami bacha kar rakh, wo aayenge milne, gm ke aanshoon ko khushi mein badal kar barsana, khush honge wo aise dekhkar, likhe hain jitne nagme unhe sanjo kar rakh, wo aayenge milne, apni rudali ko sunnana banakar tarane, wo khush honge unhe sunkar, jo phool chune hain unhe sukhne de, wo aayenge milne, har phool har din ke ibadat ka tha, wo samjh jayenge dekh kar, o re baare mann, mat chah aise ki khud ko bhul jaye. 

mere sapno ke nagri...

mere sapno ke nagri ke shilpkaar se milwa do, jisne likhi hai meri patkatha, uss racheta se milwa do, aankho mein itne taare kyun hain chamchamate, itne nahin chahiye bas ek chand hie dila do, bahut rang hain chhut gaye, uss kalakaar ko koi toa bata do, itni bejaan aawazein jo nikalti hain, unhe koi ragini toa bana do, jitni dharkane utni hain hasratein, mere sapno ke sansaar mein, kam se kam ek diya toa jala do, phansa hoon har majhdhar mein, mujhe mere manjhi se milwa do, raat mein akele darr jata hoon, thik se so bhi nahin pata hoon, mujhe meri maa se milwa do, mere sapno ke nagri ke shilpkaar se milwa do.

badi mushkil se

badi mushkil  se ye dil......... phir lagaya, badi koshish ki toa,  tere paas aaya, aas phirse jagi iss dil mein hai, jo tune pyaar se, mujhe bulaya........ toota toa ye dil, pehle se hie hai, bas abhi tak ye, bikhra nahin hai, bujhe-bujhe se hum yunhi jalte hain, aapke saath baitha toa, phir jagmagaya............ honsh ki kya fikr karein hum, tere pyaar ke nashe mein dekhkar, saara zamana aaj, mehkhane mein nazar aaya....... dooba rahoon yunhi, teri nigahoan mein, aaj iss bekhudi ko dekh kar, meri saanso ne bhi, aitraaz hai farmaya.......... baithe rahoon yunhi, ki main dekhta hie rahoon, honsh aise hain gum, ki aaj maut ne bhi....... dhokha hai khaya.. badi mushkil se ye dil, phir lagaya

ek taraf tera ghar hai

ek taraf tera ghar hai, ek taraf bhagwan ka ghar, dono hie sunnte nahin, aakhir jaun main kiske ghar, tune patthar pheka, toa kya main bhi patthar phekun, abb toa aisi aadat hai padi, har patthar pe lagta hai mera sar, ek taraf tera ghar hai, ek taraf bhagwan ka ghar. aakhir udega kaise, kisi kaam ke nahin hote murgo ke par, kitna pharpharayega woh, aakhir katna hai uska dhar, dil hai tera halal ka, lo phir jhuka hai tere saamne mera sar, ek taraf tera ghar hai, ek taraf bhagwan ka ghar. abb toa toot chuka hai mera sabr, lo khud khod ke rakh rakha hai apna kabr, mere jane ke baad mere doston, tum manana mera parv, yaad ban hamesha aata rahunga, pagal kabhi marta nahin hota hai woh amar, ek taraf tera ghar hai, ek taraf bhagwan ka ghar dono hie sunnte nahin hain, aakhir jaun main kiske ghar.

tere jate hie...

tere jate hie, hitchkiyon ka daur shuru ho gaya, yaadon ka kafila kahin badh gaya, tere jate hie, hitchkiyon ka daur shru ho gaya, saanse dhimi ho gayin, raftar waqt ka kam ho gaya, tere jate hie, hitchkiyon ka daur shuru ho gaya, shaam jaise dhalti nahin, taaro ke tootne ka silsila badh gaya, ter jate hie,  hitchkiyon ka daur shuru ho gaya, mere chand ka katora kahin, ghane badlo ke pichhe kho gaya, tere jate hie,  hitchkiyon ka daur shuru ho gaya, abb subah uthata nahin, ghanta mandir ka chup ho gaya, ter jate hie, hitchkiyon ka daur shuru ho gaya..........

pagalpan ki shaan

hamare pagalpan ki shaan dekh kar, abb saara jamana pagal ho raha hai, hum toa nikle the akele, abb paglo ka kafila badhta ja raha hai, main bhi pagal, arey  tu bhi pagal, paglo ka thahaka gunjta ja raha hai, hamare pagalpan ki shaan dekh kar, abb saara jamana pagal ho raha hai. aaj ek pagal chal basa hai, toa dekho kaise naach rahein hain, chhuta jamane se pagal ka pichha, toa mithaiyan baant rahein hain, hans rahein hain humein dekh kar log, hum aaina samajh kar hans rahein hain, hamare pagalpan ki shaan dekhkar, abb saara jamana pagal ho raha hai. har akhbar mein khabar chhapi hai, pagalo ke naam ka warrant nikla ja raha hai, marne lagin hain yuwatiyan, har pagal mein unko, unka aashiq nazar aa raha hai, hamare pagalpan ki shaan dekh kar,  saara jamana pagal ho raha hai. neeta ji aa rahein hain, paglo se milne, unko bhi abb hummein, apna vote bank nazar aa raha hai, paglo ka alag dharam bana do, har pheke hue patthar mein, unhe apna bhagwan nazar aa raha hai, hamare pagalpa...

लप्रेक 1

12विं कक्षा उतीर्ण करने के बाद, डॉक्टर बन जाने की प्रबल इक्षा के साथ मैंने पांडेय सर् की रसायन विज्ञान की चोचिंग में नामांकन कराया, स्नातक में एक साल ड्राप करने का निर्णय लिया और सपथ लिया कि अपने माँ और पापा की आकांक्षाओं को पूरा करके ही दम लूँगा। यामाहा की rx100 बाइक से मैं चोचिंग जाया करता था जो हाल ही में मुझे भईया से मिली थी। क्लास रूम बहुत बड़ा था जिसकी अद्भुद संरचना थी, कम से कम 70-80 विद्यार्थी एक साथ पढ़ते थे, आगे की चार बेंचों पर सिर्फ लड़कियों को बैठने की इज्जाजत थी और लगभग 2 फीट की गैप के बाद लड़को के बेंच शुरू होते थे जो कि शंख्या में 6 रहे होंगे और 2 rows में विभाजित थे अलग-अलग। एक दिन अचानक मैंने महसूस किया कि कोई मुझे देख रहा रहा है, सर उठा कर गौर किया तो देखने वाला पलट गया। मैं अक्सर क्लास शुरू होने के 10 मिनट पहले पहुँच जाता था और अगले दिन फिर मेरी आँखें किसी से चार हुईं, इस बार मेरी नज़रें उससे मिल ही गयीं जो पीछे पलट अपने दोस्त से बात करने के बहाने मुझे कई दिनों से निहार रहीं थी। मैं मन ही मन ये सोंच रहा था कि बचपन से co-ed में पढ़ा फिर भी आज तक किसी लड़की ने घाँस तक नहीं ड...

ज़िन्दगी जी तो बस खुल कर जीने के लिए book4

ज़िन्दगी जी तो बस खुल कर जीने के लिए।। मुझे अपने बहाव में बहा देना चाहती है मैं अपने हिसाब से तैरना चाहता हूँ, लोग तो अपने हिसाब से चलाते थे और चलाते ही रहेंगे, मैं एक बार और बार-बार ज़िन्दगी से मुहब्बत करना चाहता हूँ, लोगो ने तो समय को भी घड़ी में कैद कर रखा है मैं जिंदा नहीं महज जीने के लिए आज़ाद था और मैं आज़ाद ही रहना चाहता हूँ। मेरे हौंसलों की उड़ान अभी देखी हैं कहाँ आसमान को भी धरती पे झुका रखा है गिर गया एक दो बार तो क्या मैं मिट्टी में मिल गया हूँ देख फिर खड़ा हूँ फिर गिरने के लिए, गिरने के डर से तू भले ना चले, देख मेरे पर फिर उगे हैं उड़ान भरने के लिए। देख मेरे पर फिर उगे हैं उड़ान भरने के लिए।। बंदे मेरे बंधु तू कोशिश करना ना छोड़ देना ऊपर वाला जरूर मिलेगा तेरी फर्याद सुनने के लिए शिकायत ना करना तू उसकी और ना किसी की शुक्रिया अदा करना बेशक़ तुझे ज़िन्दगी देने के लिए अपने हिसाब से जीना है तो लड़ना ही पड़ेगा आज कल भीख भी देते हैं लोग पुण्य कमाने के लिए औरो की ना देख अपनी करता जा ज़िन्दगी जी तो बस खुल कर जीने के लिए ज़िन्दगी जी तो बस खुल कर जीने के लिए।।समय मुझे अपने बहाव में बहा देना चाहती है ...

तुझे क्या पता होगा मेघ book 2

रातभर बरसते मेघों को क्या पता यहाँ सड़क किनारे भी लोग सोते हैं बेसहारा, बेबस, बिना छत के फूटपाथ ही जिनकी चारपाई है शरीर जितनी ही जिसकी चौड़ाई है लंबाई से ज्यादा हिस्सा भी नहीं मिलता बगल में आखिर कोई और भी तो है सोता जिसका पता नहीं क्या धर्म होगा या जात लेकिन हैं दोनों के एक जैसे ही हालात गंदे कपड़े मैला शरीर हर जगह से जीर्ण-शीर्ण लेकिन सब मिलकर रहते हैं एक साथ बांट रखा है उन्होंने भी अपना साम्राज्य जिसकी रक्षा के लिए तैनात हैं अनेक भगवान जिनको लटका रखा है सामने की दीवारों पे शायद इसी उम्मीद से की उनके दिन भी अच्छे हों ठीक हमारी तरह ही भगवान से मांगते हैं वो वो भी तो परम पिता परमेश्वर का ही अंश हैं आखिर किसी ने कहा है ना तत्त्वं असि! सोहम! हर जीव में ब्रह्म हैं, मैं वो हूँ! लेकिन तुझे ये सब क्या पता होगा मेघ, तू बस बरस। तत्त्वं ऐसी - वो ही तुम हो सोहम- मैं वह हूँ

दरिया for book 1

दरिया को कहाँ पसंद है दायरे में रहना, बाढ़ बन सब कुछ बहा ले जाता है , समंदर में समा कर भी कहाँ अस्तित्व है खोता, लहरें बन साहिल से वही तो टकराता है। समंदर तो रहा है हमेशा से ही नकारात्मक, नीरस, नमकीन और निर्रथक, भले फैला हो समस्त धरती पे... फिरभी, चाँद को देख उसे हो जाती है घबराहट , बार-बार चट्टानों से टकरा बिखर जाता है, पीछे जा खुद को फिरसे समेटता, फिर वापस पूरा जोर लगा, दहाड़ता हुआ आज़ादी के लिए लड़ता है, ऊष्मा से खुद को तपा भांप बन, दरिया फिरसे बादल का अवतार लेता है, खुद को मिटा धरती की प्यास बुझा, फिरसे नई राह बना अविरल बहता है।

क्रेच

अच्छा हुआ विमला तुम आ गयी, देखो दो दिन से घर कितना गंदा पड़ा है, कहाँ चली गयी थी? तुम्हारा फोन भी नहीं लग रहा था, जैसे तैसे रोटी बनाकर बस एक समय ही खा पाया, कम से बता कर जाती की कुछ और इंतज़ाम कर लेता, मेहता जी अपने गुस्से को दबाए हुए नर्म भाव से अपनी कामवाली से बोल रहे थे। आखिर गुस्सा करते भी तो कैसे उनकी पत्नी कौशल्या अपने बेटे विशाल के पास दिल्ली गयी हुई थी और वो घर के सारे किर्याओं के लिए विमला पे ही आश्रित थे। शाम में कौशल्या का फ़ोन आया तो उस पे ही बरस पड़े, अरे कब तक आओगी, यहां जीना मुहाल हो गया है अकेले, वो तो आज विमला आ गयी वरना ये तुम्हारा बूढ़ा आज भूख से तड़प कर जान ही गवा देता। कौशल्या- ऐसा क्यों बोल रहे हैं, शुभ-शुभ बोलिये मरे आपके दुश्मन, अभी तो बस 5 दिन ही हुए हैं आये हुए, बहु और बेटा तो एक महीने रुकने के लिए बोल रहे हैं। मेहता जी- एक महीना! दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा। तभी कौशल्या से फ़ोन झपट कर उसका बेटा विशाल पापा को प्रणाम करते हुए बोलता है, पापा आप भी आ जाइए यहाँ, क्यों वहां अकेले रह रहे हैं, मेरी तो नौकरी है जिसे छोड़ वहां नहीं आ सकता, आप तो अवकाश ग्रहण कर चुके ...

New two liners

रातभर बरसते मेघों को क्या पता कि यहाँ सड़क किनारे भी लोग सोते हैं आभूषणों से सुशोभित भगवान किसी दीन को रोटी कर देता दान माना पूर्व जन्म के पापों को भोग रहा लेकिन है तो वो भी तेरी ही संतान मुरझाया फूल किसी को पसंद नहीं don't loose ur charm, people attached with u for ur personality only if u change it their behavior changes Instagram bhi ajeeb jagah hai, yahan sabhi celebrities ki profile open hoti hai aur bakiyon ki private मेरी रातें अब लाल हो चुकीं हैं ख्वाबों का कत्ल आम हो चुका है आज कल खुद को ही अच्छा नहीं लगता तो फिर औरों को क्या लगूँगा Be lively- being concious about your believes/ belief किसी ने पूछा बीते दिनों तुम्हारे जीवन में क्या बदलाव आया है मैंने कहा- पहले सब्जी बिना दाम पूछे खरीदता था अब मोल-भाव करके खरीदता हूँ

Goa trip

That particular year during diwali holidays I wanted to escape from everyone and everything that's why I planned goa trip, didn't went to my home town, i wanted to ease out monthly target & sales pressure for few days. I have a friend who was there at goa running sack, I talked to him & went there, he was building his sack there with the help of some labours, most of the sacks(restro/dhaba) people take on seasonal basis but the place & name if become famous last over the years, like others my friend babbu also doing the same business. Babbu is a short heighted guy having long beards like sadhus, total ganjeri full high kind of person. I asked babbu where we are going to sleep at night as sack was not in a position to live, he said just there on the other side of of arambol beach, he has shown me far away over the rocks. During dusk he asked me to pick my bag, I told him to take me to beer shop first, I bought 6 cans of beer & left for the other side, he parked h...

पेड़ वाले पैसे: लघुकथा

अरविंद अपनी कार में सरसराता हुआ पटना से ही सटे नौताब पुर के तरफ जा रहा था, आँखों पे काला चश्मा धूप से बचने के लिए पहन रखी थी और गाड़ी का वातानुकूलित यंत्र गर्मी से निज़ात दिला रहा था। नौबतपुर में अरविंद की 20 बीघा ज़मीन थी जिसे एक बिल्डर खरीदना चाहता था। वो अपने गंतव्य स्थान पे पहुंचा तो वहाँ बिल्डर उसका पहले से इंतेज़ार कर रहा था। उसका ज़मीन एक बगीचा था जिसमे बहुत सारे आम, अमरूद, केला इत्यादि फलों के वृक्ष लगे हुए थे जिसे अरविंद के पिता ने बड़े ही चाव से लगाया था। बिल्डर के एक आदमी ने अरविंद को बोला भी भाई साहब बहुत अच्छा बगीचा है आपका, ये पेड़ पौधे बहुत खूबसूरत लग रहे है, इसके अलावा कोई खाली ज़मीन नहीं है क्या आपके पास, लालची अरविंद को तो बस करोड़ो रूपये दिख रहे थे, झट से बोला नहीं यही आखिरी ज़मीन की खेप बची है इस इलाके में, बिल्डर से मोल भाव करके अरविंद बयाने में 10 लाख रूपए लेकर वहाँ से निकल गया। वापसी में गर्मी से प्यास लगी तो कार में पड़े पानी को पीते हुए, खाली बोतल को सड़क पे फेकता हुआ चल दिया, तभी कुछ दूर चलने पे उसकी गाड़ी खराब हो गयी, आगे इंजन से धुआँ निकलने लगा, बोनट उठा कर देखा तो पूर...

word of mystics

Experience life in all possible ways -- good-bad, bitter-sweet, dark-light, summer-winter. Experience all the dualities. Don't be afraid of experience, because the more experience you have, the more mature you become.~ OSHO Explanation: When I looked for evil outside, I could not find any evil. Once I started looking in my own heart (introspection), I found I was the most evil. Rahim means, we should try to improve upon our own shortcomings rather than finding faults with others. Rahim answers many mysteries of life through his simple though impactful couplets. He was a true enlightened poet.