बुढ़ी और गाय
हर रोज़ की तरह मैं सुबह उठ कर अपने घर की बालकनी में सड़क पे आते जाते लोगो को देख रहा था, हमारी गली छोटी सिकरी सी गली है जिसमें अनगिनत वाहनों का परिचालन होता है। आज हलकी हलकी बारिश हो रही थी, लोग अपने काम काज पे जा रहे थे और दिन की भांति हमारे पड़ोस में एक बुढ़ि माता जो की लगभग ७० साल की होगी वो मछली बेच रही थी , उनका घर हमारे घर से एक दम सटा हुआ है, उनके ४ पुत्र हैं , जिसमे से २ लड़के सबसे छोटा वाला और उससे बड़ा वाला उनके साथ रहते है, सबसे बड़ा वाला इसी मोहल्ले में कहीं और अपना माकन बना कर रहता है और उससे छोटा कुछ वर्ष पूर्व किसी दुर्घटना में चल बसा था। वो जीवन के हर कर्त्तव्य निभा चुकी थी सभी बच्चो की शादियाँ भी कर चुकी थी, बुढ़िया अपना जीवन सुबह सुबह मछली बेच कर गुजारती थी, उसके साथ जो उसके दो बच्चे रहते थे उनके पास रोज़गार नहीं था, अलग अलग नौकरी के लिए फॉर्म भरते थे। आते जाते लोग उससे पसंद करते और उसके बुढ़ापे पे चुटकी लेते हुए मज़ाक भी करते रहते थे, वो इस मोहल्ले में बहुत सालों से जो रहा करती थी, लेकिन ये दिन उसका आखरी दिन था और उसका देहांत हो गया। छोटा बेटा जो उसके साथ रहता था वो जोर जोर से रो रहा था, सभी पडोसी आस पड़ोस के लोग वहाँ आ गए , कुछ लोग बाकि भाइयों के परिवारों को खबर करने चले गए थे और कुछ ही देर में सारा परिवार वहाँ एकत्रित हो गया और यहीं से शुरुरात हुई इस ख़राब दिन की , चारो बेटे और उनकी बीवींयां अंतिम संस्कार पे बहस करने लगे, सबसे बड़े बेटे ने कहा की माँ जिसके साथ रहती थी और जिसको अपने पेंशन का पैसा देती थी उसका फ़र्ज़ बनता है अंतिम संस्कार का, उसपे सबसे छोटे बेटे का तर्क था की मैं तो बेरोज़गार हूँ और जो पैसे पेंशन और मछली बेचने से आते थे वो खर्ज़ हो जाते थे और जो बचता था वो माँ खुद रखती थी, घंटो बीत गए लेकिन इन कुपुत्रों का तर्क वितर्क ख़तम होने का नाम ना ले रहा था , और घर के ओटे पे लाश अपनी अंतिम विदाई की राह देख रही थी।
तभी वहाँ से एक ग्वाला अपनी गाय लेकर जा रहा था और गली की मोड़ पे तेजी से आते एक वाहन से टकरा गया, टक्कर होते ही गाय जमीन पर लेट कर छटपटाने लगी और देखते ही देखते वो गाय भी चल बसी, उसका मालिक वहीं ज़मीन पे अपना माथा पकड़ कर बैठ गया और जोर जोर से रोने लगा। उसके परिवार के लोगो को जैसे ही पता लगा वो भी वहाँ आ गए और सभी अपनी गईया का हाल देख रोने लगे, हमारी छोटी सी गली इतने देर में पूरी तरह से जाम हो चुकी थी, सिर्फ पैदल जाने वाले लोग किसी तरह इधर से उधर जा पा रहे थें। ग्वाले के रिश्तेदार ठेला लेकर आया और तुरंत मरी हुई गाय को उठा कर वहाँ से ले गए।
लेकिन अभी तक बुढ़िया के बेटों का हिसाब हुआ नहीं था, उनका बस चलता तो वो भूल भी जाते की उनके घर कोई मौत भी हुई है, फिर किसी तरह सबने मिलकर खर्चे उठाने का फैसला लिया।
आज भी अपनी बालकनी से देखता हूँ तो वो मछली काटती बुढ़िया और वो मरी हुई गाय दिखाई दे जाया करती है कभी कभी। इस संवेदन हिन् समाज में रिश्तों से ज्यादा अहमियत अब पैसो की हो गयी है और ये बढ़ती ही जा रही है। इस संसार में सबसे सस्ती कोई चीज़ है तो वो है किसी की मौत और मर कर स्वर्ग जाना सबसे महंगी यात्रा है जिसका ट्रेवल पैकेज पंडितों के पास होता है सोने की सीढ़ी से लेकर साधारण सीढ़ी तक हर तरह से भेजने का उपाय है इनके पास। आखिर हर धर्म में जीवन का परम लक्षय उस परम पिता परमेश्वर में संपूर्ण रूप से मिल कर मोक्ष प्राप्त करना ही तो है।
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