हाशिये पे ज़िन्दगी: लघुकथा
सिन्हा जी और उनकी पत्नी ता उम्र लोगो से ताना सुनते रहे कि वो दोनों बहुत ही कंजूस हैं, दो जोड़ी कपड़े उनके लिए पर्याप्त हुआ करते थे, बैंक में सरकारी नौकरी करने के बावजूद अभी तक उन्होंने कानपुर में अपना घर नहीं बनाया था, और ये सब वो करते रहें तो बस अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए। आज उनके दोनों बच्चे विदेश में कार्यरत है, एक डॉक्टर है तो दूसरा सॉफ्टवेयर अभियंता लेकिन आज सिन्हा जी की ज़िंदगी हाशिये पे आ खड़ी है, बुढ़ापे में उन्हें पूछने वाला कोई भी नहीं।
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