गंगोत्री से निकली गंगा book64

गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में
कितने ही गांव बसे
इसकी पावन राह में
कितनी सभ्यताएं पली
इसकी उर्वरक बांह में
गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में

गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में
कितनी ही नदियाँ मिली
इसकी अविरल धार में
झुकी यमुना और कोसी
इसकी अलौकिक शान में
गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में

गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में
कितने ही घाट बने
इसको पाने की चाह में
प्रशिद्ध हुए हरिद्वार व काशी
इसकी सेवा सत्कार में
गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में

गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में
कितने ही जीव जंतु पनपे
इसके शुद्ध जल संसार में
जीते डॉलफिन और घड़ियाल
इसके विशाल गहरे पन में
गंगोत्री से निकली गंगा
जाकर गिरी बंगाल में।

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