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थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ

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थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ अकेले में कभी-कभी रो लेता हूँ अच्छा है किसी के अंदर अब मुझे प्यार नहीं दिखता क्योंकि प्यार में तो वैसे भी किसी को कुछ नहीं है दिखता थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। मेरी फरमाइश तो बहुत है पर हर बाज़ार में मैं बिकता नहीं हूँ दर्द के अफसानों में अब तो हसने की आदत सी पड गयी है अब दिल तड़पता भी है तो बेखुद मैं हँसता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। सपनो को टूटते देखने की आदत सी पड़ गयी है लेकिन हकीकत से रूबरू होता हूँ तो मैं पिघलता बहुत हूँ सिगरेट के धुंए से ये दिल जलता बहुत है ख़ाक हो रहे अरमानों के धुएं में मैं घुटता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। कहते है लोग की आईना सच बोलता है पर टूटे हुए आईने में मैं आखिर क्या देखूँ किसी से प्यार से बात करो तो गलत समझते है लोगो की उल्टी बातें मैं समझता बहुत हूँ आखिर कैसे समझाऊँ मैं इस दिल को खुद से बातें कर खुद को बहलाता बहुत हूँ थोड़ा पी लेता हूँ तो सो लेता हूँ। ये ज़िन्दगी पंचतंत्र की कहानियाँ नहीं हैं फिरभी इसे आधार बना बेवकूफ़ मैं लड़ता बहुत हूँ थक गया हूँ मैं इस ज़द्दोज़हत