दिल है छोटा सा छोटी सी आशा, मस्ती भरे मन की भोली सी आशा, हम्ममम्ममम्ममम्ममम्म ये गाना गुनगुनाते हुए संगीता सुबह-सुबह अपनी बेटी के लिए नाश्ते में पराठा और आलू भुजिया बना रही थी, फिर वो अपनी 5 साल की बेटी को विद्यालय जाने के लिए उठाने लगी, उठो अनन्या जल्दी उठो , स्कूल वैन कभी भी आ जायेगा, अनन्या-नहीं मम्मी थोड़ा सो लेने दो ना एक मिनट और, ये बोलकर वो फिर सो गई अनन्या को उठाने की आवाज़ सुनकर उसका बेटा ईशान उठ गया और रोने लगा संगीता (प्रसन्ता की मुद्रा में) अरे मेरा बाबू उठ गया, अभी बहुत सुबह है बेटा अभी और सो जा बाद में उठना, सुन कर ईशान फिर सो गया। तभी स्कूल वैन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई पड़ी और संगीता ने झटपट अनन्या को तैयार करा स्कूल भेज दिया। अब बारी थी उसके पति की जो कब से इंतेज़ार में था कि कब अन्याय विद्यालय जाए और उन्हें चाय पीने का मौका मिले, फिर त्यार होकर समय रहते वो अपने कार्यालय के लिए प्रस्थान करे, संगीता ने ही बहुत फुर्ती से अपने पति के लिए नाश्ता बना लिया और जल्दी से एक जोड़ी कपड़े भी इस्त्री कर दिए, अब वो इन कामों में पारंगत हो चुकी थी, उसके बायें हाथ का काम था, उसके बाद ...