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Showing posts from June, 2017

ये मुल्क़ वही है प्यारों का

ये मुल्क़ नहीं है परायों का ये मुल्क़ वही है प्यारों का खुलके घुलते मिलते सिवयों में सौहादर्य छिपा है भाइयों का चाँद की कटोरी में पुआ पकाये होली का दूर है चाँद तो बाँट नहीं पायें सरहदें चंद पत्थरों से दिल ना फूटेगा हम भाइयों का। इंसानो को हैवान बना रहे हैं कुछ लोग धर्म के नाम पे माहौल बिगाड़ रहे हैं लोग सियासत की रोटी सेकने के लिए घर बार जला रहे हैं कुछ लोग। दहशतगर्दो को होगा दोज़क नसीब काटने पीटने वालों का ना होता कोई कौम ये लड़ाई नहीं है महजबी न होता आतंकी का कोई धरम। ये मुल्क़ नहीं है परायों का ये मुल्क़ वही है प्यारों का 

बगल वाली बुढ़िया

                    बगल वाली बुढ़िया  हर रोज़ की तरह मैं सुबह उठ कर अपने घर की बालकनी में रोड पे आते जाते लोगो को देख रहा था, हमारी गली छोटी सिकरी सी गली है जिसमें अनगिनत वाहन  जाया करते है। हमारा मोहल्ला बहुत बड़ा है नाम भी जो है दीवान मोहल्ला, पुराना पटना सिटी में गंगा घाट और अशोक राज पथ के बिच में, पुराने सिटी कोर्ट से शुरू होता है और जा कर कहीं चौक पे ख़तम होता है। बहुत ही घनी आबादी वाला मोहल्ला है साहब हमारा एक दूसरे से चिपके मकान जो सड़क पे अपने पैर पसारे हुए हैं। हिन्दू- मुस्लिम- सिख- इशाई सभी धर्मो के लोग यहाँ बड़े ही सौहादर्य  से रहते हैं, और यहीं हमारे पटना सिटी की शान है और यहाँ रहने का मज़्ज़ा दिलाती है। आज हलकी हलकी बारिश हो रही थी लोग अपने काम काज पे जा रहे थे और दिन की भांति हमरे पड़ोस में एक बुढ़िया जो की लगभग ७० साल की होगी वो मछली बेच रही थी , उनका घर हमारे घर से एक दम सटा हुआ है, उनके ४ पुत्र हैं , जिसमे से २ लड़के सबसे छोटा वाला और उससे बड़ा वाला उनके साथ रहते थे, सबसे बड़ा वाला इसी मोहल्ले म...