लप्रेक 5

याद है तुम्हे....
वो कॉलेज के दिन हम एक दूसरे से रात में ऑनलाइन चैट किया करते थे, तुम कैंपस में कम ही मिलती और बातें करती थी मुझसे, तुम्हे डर था कहीं लोग हमारे बारे में अफ़वाह ना उड़ाने लगें, जबकि हमारे बीच तो दोस्ती के अलावा कुछ था भी नहीं, हाँ हम एक दूसरे को पसंद जरूर करते थे लेकिन हमनें शायद उसको उस तरह के प्रेम और मोहब्बत वाले नज़रिए से नहीं देखा था। तुम्हारी सहेलियाँ मुझे तुमसे बातें करते देख मुस्कुराने लगती थीं, मेरे कमीने दोस्त भी कुछ मज़ाक कर लिया करते थे, इन सब के बीच हमें सिर्फ पता था कि हम अच्छे दोस्त हैं, हमें एक दूसरे से बातें करना अच्छा लगता था। मेरे अलावा जो कुछ तुम्हारे करीबी दोस्त थे जो बात बात पे तुमसे चिपकते रहते थे वो देख मुझे बहुत गुस्सा आता था, मुझे तो कभी इतने करीब आने नहीं देती थी तुम, ऐसा क्यों? खैर छोड़ो... बहुत मिन्नतों के बाद तुम उस दिन मेरे साथ बाहर घूमने के लिए तैयार हुई थी, मेरे बाइक पे तुम पहली बार बैठी थी, हम दोनों सीसीडी गए थे जहाँ मैंने तुम्हारे लिए डेविल्स ओन आर्डर किया था और तुम मेरे लिए कप्पूचिनो, वो आधे घंटे तुमसे बातें करना आज भी मुझे याद है। वापसी में तुम मैं बाइक को कभी तेज कभी धीमे करके तुम्हे डराने की कोशिश करता लेकिन तुम कहाँ डरने वालों में से थी, उल्टा मुझसे बाइक चलाने के लिए ले लिया, वही तो तुम्हारा बोल्डनेस मुझे बहुत पसंद था, वो आत्मविश्वास, वो सादगी, वो निर्भयता.... वो हंसी सब मुझे तुम्हारी वो खिंचती थी। बाइक पे तुम्हारे पीछे बैठे वो दस मिनट की राइड लाखों किलोमीटर की राइड से ज्यादा महत्वपूर्ण थी, जब तुम्हारे पीछे बैठा था तब मन कर रहा था तुमको जोर से पकड़ लूँ, मैंने तुम्हे बोला भी था कि पकड़ रहा हूँ, जैसे ही कमर के तरफ हाथ ले जाता तुम मुस्कुराते हुए हाथ झटक देती, मैं भी तुम्हे चिढ़ा खूब हंसा था उस दिन... क्या तुम्हें याद है।

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