लप्रेक 3
जिसे देखने की आदत हो जाये, जिसे देखे बिना मन ना लगे, जिसके लिए मैं क्लास जाता था, रविवार को चाहता था कि कैलेंडर से ही हटा जाए क्योंकि उस दी छूटी होती थी, वो दो घंटे का क्लास ही मेरी ज़िंदगी बन चुका था, उसका उस दिन कोचिंग नहीं आना, मेरा दिमाग बहुत सारे प्रश्नों को जन्म देने लगा था जैसे क्या उसे मुझसे बात करके अच्छा नहीं लगा, उसने मुझसे मेरा caste पूछा और मैंने बताया नहीं क्या इस वजह से वो नहीं आयी, दूसरी तरफ इन सवालों के जवाब देता ऐसी तो कुछ खराब बात हमारे बीच हुई ही नहीं फिर भला वो क्यों नहीं आएगी, caste नहीं बोलने के बाद उसने बोला तो की दोस्ती में caste जान कर क्या करना, मासूम दिल, दिमाग की सारी नकारात्मक बातों को नज़रंदाज़ कर उसमें कहीं खो जाता, अपनी स्वप्न नगरी में जहाँ खूबसूरत पहाड़ थे, वादियाँ थी, बादल, मखमली हवा, हरे घाँस, खूबसूरत फूलों की बगिया और उन सबके बीच सिर्फ मैं और स्वाति थे।
अगले दिन वो क्लास में आई और पूरी तरह से मुझे इग्नोर किया, उसने मेरी तरफ देखा है नहीं, पूरे क्लास में सिर से नज़रे बचा मैं बस उसे ही देखता रहा कि अब वो पलटेगी और मुझे देखेगी लेकिन वो 2 घंटे बीत गएं उसने एक बार भी नहीं देखा। क्लास छूटने के बात मैं हमेशा की तरह उसके रिक्शा के पीछे से हॉर्न बजट हुआ रिक्शा के समानांतर चलते हुए उसे देखा लेकिन उसने मेरी तरफ जरा सा भी नहीं देखा, तेजी से बाइक को भगा आगे ले गया, बाइक ठीक करने के बहाने मैं रोड के साइड में खड़ा हो उसके आने का इंतज़ार करने लगा, सोंचा सामने से देखूंगा तो शायद वी मुझे देखे, उसका रिक्शा पास से गुजर गया लेकिन उसने फिर नेरी तरफ नहीं देखा, या उन कहूँ उसने देख कर अनदेखा कर दिया, उसके चेहरे वे बनावटी भाव थे जिसे कुछ लिखा ही नहीं था, साफ पता चल रहा था कि वो मुझमे अब इंटरेस्टेड नहीं है, मन बहुत दुखी , व्याकुल, चिंतित हो गया था, मुझे कोई चाहिए था जिसे मैं अपने दिल की सारी बातें बताऊँ, जिसके कंधे पे सर रख कर रोऊँ उस प्रेम कहानी के लिए जिसका तो बस अभी शीर्षक ही लिखा गया था । उस जगह के पास में ही मेरा एक दोस्त रहता था बुलबुल उर्फ ब्रजेश जिससे मेरी कुछ महीने पहले ही दोस्ती हुई थी लेकिन हमारी दोस्ती इन कुछ महीनों में ही बहुत मजबूत हो गयी थी, उससे मेरी दोस्ती शायद कई जन्मों से थी, बुलबुल बहुत ही तेज तर्रार, 6 फुट लंबा, स्मार्ट और handsome लड़का था, उससे कोई मिले वो खुद ब खुद उससे इम्प्रेस हो जाता था। उसको मैंने अपने इस चक्कर के बारे में पहले भी बता रखा था, लेकिन अब जो कहानी में बदलाव था उसको मैंने बताया, बुलबुल ने सारी बातें सुनने के बाद दो बातें बोलीं पहला ये की लड़की राजपूत है और तुम नहीं हो इस लिए वो समझ गयी है कि इस कहानी में हम दोनों मिलने वाले नहीं तो वो इसे अभी ही खत्म कर देना चाहती है या दूसरा ये हो सकता गई कि वो तुम्हारा टेस्ट ले रही हो, की कुछ दिन इग्नोर करके देखती हूँ ये क्या करता है, मेरे पीछे लगा रहता है या किसी और के पीछे चला जाता है। मैं बुलबुल की सारी बातों को बहुत ही गंभीरता से सुन रहा था और सुनूँ भी क्यों नहीं उसने मुझे अपनी एक लव स्टोरी के बारे में बताया था जिसमे वो जहाँ पहले रहता था उसी के बगल में एक लड़की रहती थी जिसकी तरह वो देखता तो वो उससे झाड़ू दिख पिटाई की बातें करती थी, लेकिन बाद में बुलबुल ने उसे अपने प्रेम जाल में फंसा कर उसे अपनी प्रेमिका बना लिया था, इस लिए क्योंकि वो ज्यादा अनुभवी था मैं उसकी एक एक बात को बड़े ही गौर से सुन रहा था। उसने मुझे यही बोला कि तुझे लगता है कि तू सच्चा ऑयर करता है या हो गया है तुझे तो फिर तू लगा रह, शुरुवात में हर लड़की हिचकिचाती है लेकिन जब उसे लगता है कि ये लड़का उसका हाँथ थाम हर परिस्तिथि में मेरा साथ देगा तो वो खुद आगे बढ़ जाती है, इस लिए भाई तू लगे रह।
Comments