जीने की शर्त
अपनी शर्तों पे जीना चाहोगे तो कष्ट होगा ही,
यूँही नहीं नदी पत्थरों से टकरा अपनी राह बनाती है,
कौन नहीं चाहता कि कैद में बुलबुल रहे,
बाज बन जा उससे दुनिया भय खाती है,
नभ में जब तू ऊंची उड़ान भरेगा,
तब सब तुझे डराएंगे मज़ाक भी उड़ाएंगे,
संयम से तू बस उड़ते चले चलना,
आसानी से कौन अपना मंज़िल पाया है,
कितने आएं और कितने गएं,
बस चंद लोग हैं जिन्होंने ने नाम कमाया है
ज़िन्दगी तेरी है तो जीने की शर्तें भी तेरी हो,
नियमों में बांध कर कौन आज़ादी को रख पाया है।।
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