तेरा ही होता जाऊं
तेरे मेरे बीच में
कैसा है ये बंधन
तू जितना दूर जाए
उतना ही खिंचा आऊं
तेरे ख्यालों में ही जियूँ
तेरा ही होता जाऊं।।
मन अब काबू में ना रहे
दिल को प्रीत का पंख लगे
मैं हर घड़ी उड़ना चाहूँ
तुझमे खोना रहना चाहूँ
तेरा ही होता जाऊं।
तेरे मेरे बीच में
कैसा है ये बंधन
तू जितना दूर जाए
उतना ही खिंचा आऊं
तेरे ख्यालों में ही जियूँ
तेरा ही होता जाऊं।।
मन अब काबू में ना रहे
दिल को प्रीत का पंख लगे
मैं हर घड़ी उड़ना चाहूँ
तुझमे खोना रहना चाहूँ
तेरा ही होता जाऊं।
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