मीठे ख्वाब

किसी ने इक गुजरते हुऐ वक़्त में ये कहा था.

" कोई किसी से अलग क्यों ना हो जाये, दिल के किसी ना किसी कोने में उसकी यादें रह जाती हैं "

कल रात फिर तेरे मीठे ख्वाब आये
क्या जादू भरी वो आँखें थी
मैं मदहोश अब भी हूँ ,
मुस्कुरा रहा हूँ  ना जाने क्यों
खुद में ही खोया सा हूँ ।

कभी तो आ के मिल अपनी दुनिया भुला कर मेरी दुनिया में,
कब से बैठा हूँ बाहें फैला यूँही तन्हा अकेला सा
कुछ एहसास अब भी बाकि है तेरे साँसों की
तू कह दे तो  काट लून ये  ज़िन्दगी उन अहसासों में ही।

भूल ना पाऊं तुझे कैसा तेरा जादू था
चुम्बक के तरह तुझसे मेरी रूह है जा चिपकी
आ आना आ जा पास मेरे मेरी जान मेरी मोह्बत
प्यार से भर दूँ खुद को मैं और तुझे भी।

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