बादल book 9
देखो नील गगन में
उड़ते कितने श्वेत पंख हैं,
बिखरातें है झीलमील मोती
जब हो जाते उनके काले तन हैं,
उन्हीं मोतियों के घूमील छांव में
गुम कहीं हो जाते हैं,
और मृतिका को
हरा भरा कर जााते हैं।
तपती धूप से जब
धरती छटपटा रही होती है,
सूखे डालों की कृन्दन से जब
फ़िज़ा ग़मगीन हो जाती है
बादल बारिश बन तब
खुद को मिटा जाते है
और मृतिका को
हरा भरा कर जाते हैं।।
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